नागपुर: महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष ने किसानों के मुद्दों को लेकर शुक्रवार को जोरदार प्रदर्शन किया। शीतकालीन अधिवेशन के दूसरे दिन विपक्ष ने किसानों को मुद्दे को लेकर विधान भवन की सीढ़िया पर जमकर हंगामा किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस के तमाम विधायक सरकार के किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर प्रदर्शन कर रहे थे। सभी विधायक कपास की माला पहनकर और धान की बर्बाद हुई फसल हाथों में लेकर प्रदर्शन करने आए थे।
सरकार किसानों को राहत देः विपक्ष
विधायकों का कहना है कि बेमौसम बारिश की वजह से किसानों की फसल बर्बाद हो चुकी है और किसानों को कपास की फसल के लिए कम से कम 14000 रुपए प्रति हेक्टेयर मुआवजा मिलना चाहिए। सरकार इस संबंध में जल्द से जल्द घोषणा करे। विपक्ष का कहना है कि सरकार किसानों के मामले पर चुप्पी साथ रखी है। यह पूछे जाने पर कि कल मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कल बारिश प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और किसानों से मिले, खराब फसलों का जायजा लिया। इस संबंध में उत्तर देते हुए विरोधी पक्ष के नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ फोटो सेशन था। सरकार पंचनामा करके तुरंत फसलों के मुआवजे की घोषणा करें। हर फसलों की अलग-अलग दर के हिसाब से मुआवजा मिलना चाहिए।
सरकार पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने पत्रकारों से कहा, “बेमौसम बरसात के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो गई। बारिश के कारण फसल के भीगने से कपास उत्पादक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। राज्य सरकार को कपास उत्पादकों को उच्च पारिश्रमिक दिलाना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें मौजूदा संकट से कुछ राहत मिल सकती है।” कपास से बनी मालाएं हाथ में लिए हुए, महा विकास आघाड़ी (एमवीए) के वरिष्ठ नेता इस प्रदर्शन में शामिल हुए।
एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का शरद पवार नीत गुट और कांग्रेस शामिल हैं। उन्होंने कपास के लिए 14,000 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और सोयाबीन के लिए उच्च एमएसपी की मांग की। विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि वे सरकार की ‘किसान विरोधी नीतियों’ के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, ''हम कपास, सोयाबीन और प्याज के लिए उचित कीमतों की मांग करते हैं।