EXCLUSIVE : एक बार फिर हुई एनसीपी को तोड़ने की कोशिश! जानें क्यों फेल हुआ अजित पवार का प्लान
अजित पवार को यह उम्मीद थी की पार्टी के 53 विधायकों में से 35 से ज्यादा विधायक उनके साथ जुड़ जाएंगे लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाए। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार ने खुद विधायकों से बात भी की थी।
मुंबई: 2019 के बाद एक बार फिर एनसीपी को तोड़ने की कोशिश में अजित पवार कामयाब नहीं हो पाए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एनसीपी को तोड़ने का उनका प्लान फेल हो गया। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार को यह उम्मीद थी की पार्टी के 53 विधायकों में से 35 से ज्यादा विधायक उनके साथ जुड़ जाएंगे लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाए। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार ने खुद विधायकों से बात भी की थी।
बगावत की इस कड़ी में मंगलवार यानी 18 अप्रैल का दिन बेहद अहम था। अजित पवार सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि 18 अप्रैल की बैठक पहले से तय थी। सभी विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए मिलने आए थे। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि अजित पवार इस दिन अप्रत्यक्ष रूप से शक्ति प्रदर्शन करना चाहते थे। अजित पवार को उम्मीद थी की कि कई विधायक जुटेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अजित पवार के पास सिर्फ 13 विधायकों का समर्थन है। इनमें भी 12 एनसीपी के हैं और 1 निर्दलीय विधायक देवेंद्र भुयार अजित पवार के समर्थन में हैं। ज्यादा विधायकों का साथ नहीं मिल पाने की वजह से अजित पवार ने बगावत के अपने प्लान को होल्ड पर डाल दिया है।
अब सवाल उठता है कि क्या अजित पवार की दिल्ली में बीजेपी नेताओं के साथ कोई बैठक हुई थी? सूत्रों की मानें तो पिछले हफ्ते अजित पवार और अमित शाह की दिल्ली में कोई बैठक नहीं हुई। बीजेपी से हाथ मिलाने के लिए अजित पवार सीधे-सीधे दिल्ली से बात नहीं कर रहे हैं बल्कि एनसीपी के एक वरिष्ठ सांसद दिल्ली और अजित पवार के बीच में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। पिछले कई हफ्तों से यह सांसद दोनों पक्षों के बीच डील की शर्तों को अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं।
ठाकरे सेना ने कैसे किया अजित पवार- बीजेपी का प्लान किया फेल?
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार और बीजेपी में जारी बातचित की भनक उद्धव ठाकरे की सेना को कुछ समय पहले ही मिल गई थी। 11 अप्रैल को जब उद्धव ठाकरे और शरद पवार की मुलाकात सिल्वर ओक पर हुई तब शरद पवार ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी उद्धव ठाकरे को दी। इसके बाद 16 अप्रैल को संजय राउत ने शरद पवार के साथ हुई निजी बातचीत के उस खास हिस्से को सामना अखबार के जरिए सार्वजनिक कर दिया जिसमें शरद पवार ने कथित रूप से उद्धव ठाकरे को कहा था की एनसीपी के विधायकों पर काफी दबाव है और कुछ विधायक पार्टी छोड़ने का फैसला ले सकते हैं।
आमतौर पर निजी बातचीत को सार्वजनिक नहीं किया जाता है लेकिन शरद पवार के बयान से साफ हो गया था की एनसीपी टूट की कगार पर है। सूत्रों के मुताबिक, ठाकरे सेना ने एक सटीक रणनीति के तहत शरद पवार से हुई बातचीत के सिलेक्टेड हिस्से को अपने अखबार में छापा ताकि, विरोधी खेमे में खलबली मच जाए। हुआ भी यही। ठाकरे सेना अब सार्वजनिक रूप से कह रही है कि उनके खुलासे की वजह से बीजेपी का नकाब उतर गया है और उन्होंने ऑपरेशन लोटस को फेल कर दिया है। ठाकरे सेना के इस प्लान में शरद पवार शामिल थे या नहीं इसको लेकर अब तक कुछ स्पष्ट नहीं है।
क्या अजित पवार ने खो दिया परिवार का विश्वास?
महाविकास आघाड़ी के सूत्र दावा कर रहे हैं कि पार्टी को जोड़े रखने के लिए अब खुद शरद पवार एनसीपी के सभी विधायकों से बात कर रहे हैं। बुधवार से इसकी शुरुआत भी हो गई है। बिना सीनियर पवार की सहमति के कोई भी विधायक आगे कदम नहीं बढ़ाना चाहता है। 2019 के बाद यह दूसरी मौका है जब अजित पवार ने बगावत का नाकाम प्रयास किया। अजित पवार को लेकर महाविकास आघाड़ी के अन्य दलों में काफी नाराजगी है।
सूत्र दावा कर रहे हैं कि दूसरी बार बगावत की कोशिश कर अजित पवार ने परिवार का विश्वास खो दिया है। परिवार ने अजित पवार को सब कुछ दिया, फिर भी उनकी लालसा कम नहीं हो रही है। महाविकास आघाडी के सूत्रों की माने तो अजित पवार हर हाल में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। अजित दादा इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि उनका जूनियर एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गया। लेकिन सीएम बनने का उनका सपना अब तक अधूरा ही है। अगर शिंदे सीएम बन सकते हैं तो फिर वह क्यों नहीं सीएम बन सकते है।
सूत्र दावा कर रहे हैं कि दूसरा प्रयास असफल होने के बाद भी अजित पवार ने हार नहीं मानी है। एनसीपी के विधायकों को तोड़ने का प्लान फिलहाल सिर्फ स्थगित किया गया है, सही समय आने पर इस प्लान को दोबारा एक्टिवेट किया जाएगा। वहीं इस पूरे प्रकरण के बाद महाविकास आघाड़ी के अन्य दल अलर्ट हो गए है। वे अजित पवार के हर हलचल पर नजर रखे हुए हैं।
वहीं अजित पवार ने अपने बचाव में कहा है कि उनके बगावत की खबरें बेबुनियाद और गलत है। वो मरते दम तक एनसीपी में ही रहेंगे और पार्टी के लिए काम करेंगे। शरद पवार ने भी मीडिया से कहा है कि 'विधायक छोड़कर जायेंगे, उनके सिग्नेचर ले लिए गए हैं' यह जानकारी तथ्यहीन और गलत है। अजित पवार की सफाई के बावजूद उनका पिछला रिकॉर्ड देखते हुए किसी को भी अजित पवार पर भरोसा नहीं हो रहा है।