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Hindi News महाराष्ट्र महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी ने कहा- नेहरू की ‘शांतिदूत’ की नीति की कीमत देश को चुकानी पड़ी

महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी ने कहा- नेहरू की ‘शांतिदूत’ की नीति की कीमत देश को चुकानी पड़ी

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू स्वयं को ‘शांतिदूत’ मानते थे और उनकी इस नीति की कीमत वर्षों तक देश को चुकानी पड़ी। 

Bhagat Singh Koshyari, Maharashtra Governor - India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Bhagat Singh Koshyari, Maharashtra Governor 

मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू स्वयं को ‘शांतिदूत’ मानते थे और उनकी इस नीति की कीमत वर्षों तक देश को चुकानी पड़ी। राजभवन में करगिल विजय दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोश्यारी ने कहा, ‘‘ नेहरू का राष्ट्र और स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा योगदान है। लेकिन वह स्वयं को शांतिदूत मानने लगे थे और इसकी कीमत वर्षों तक देश को चुकानी पड़ी। उनकी शांति पहल से भारत को नुकसान हुआ।’’

कोश्यारी के इस बयान की वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य सरकार में मंत्री अशोक चव्हाण ने निंदा की है। उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्यपाल की टिप्पणी अर्धसत्य पर आधारित है और वास्तविकता के विपरीत है। शांति को प्रोत्साहित करने का अभिप्राय कमजोर होना नहीं है। अगर ऐसा होता तो कोश्यारी शांति, संवाद और सौहार्द्र को प्रोत्साहित करने के लिए बस से अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा, लाल कृष्ण आडवाणी के विचारधारा के विपरीत जिन्ना (पाकिस्तान के संस्थापक) की मजार पर जाने, और बिना न्योता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नवाज शरीफ के जन्मदिन पर जाने को क्या कहेंगे। क्या ये घटनाएं कमजोरी दिखाती हैं।’’

उन्होंने कहा कि अगर शांति को प्रोत्साहित करने की वजह से नेहरू को कमजोर माना जाता है तो वहीं पैमाना पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी, पूर्व गृहमंत्री आडवाणी और प्रधानमंत्री मोदी पर भी लागू होना चाहिए। चव्हाण ने कहा, ‘‘कोश्यारी की टिप्प्णी कि वाजपेयी से पूर्व की सरकारें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर नहीं थी, देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का अपमान है।’’