राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में दो गुट हो चुके हैं। लेकिन इन दोनों गुटों में से किस गुट का कंट्रोल पार्टी पर है, इस दावे को लेकर अजित पवार कैंप और शरद पवार कैंप अब आमने-सामने आ गया है। यह लड़ाई अब भारतीय चुनाव आयोग तक पहुंच चुकी है। जानकारी के मुताबिक शरद पवार गुट की ओर से अजित पवार के दावे को नकार दिया गया है। साथ ही एनसीपी में दो गुट के दावे से भी इनकार कर दिया गया है। अजित पवार की ओर से दावा किया गया था कि उनके पास राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक, सांसद और पदाधिकारी हैं। इस लिहाज से पार्टी का चुनाव चिन्ह घड़ी और नाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी उन्हें मिलनी चाहिए।
एनसीपी पर कंट्रोल की लड़ाई
इस मामले में शरद पवार गुट की तरफ से चुनाव आयोग को कहा गया है कि अजित पवार गुट की तरफ से सबूत के तौर पर जो कागजाद पेश किए गए हैं वो सही नहीं हैं। शरद पवार गुट के नेता जितेंद्र आव्हाड का कहना है कि अजित पवार गुट की ओर से जो भी दस्तावेज चुनाव आयोग में दाखिल किए गए हैं, उसकी कॉपी हमने मांगी है। दूसरी तरफ शरद पवार गुट के विधायक और महाराष्ट्र प्रदेश के अध्यक्ष जयंत पाटिल का कहना है कि उन्हें जो भी उम्मीदे हैं। वह सब उन्होंने चुनाव आयोग के सामने रख दिया है। अपने-अपने दावों पर अडिग शरद पवार और अजित पवार गुट गुट किसके पास पार्टी की कमान जाती है यह देखना अहम होगा।
चुनाव आयोग तक पहुंची बात
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले एनसीपी में चल रही अंदरूनी कलह के कारण अजित पवार ने एनसीपी छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और भाजपा से हाथ मिलाया। इसके बाद उन्हें राज्य में डिप्टी सीएम का पद दिया गया। साथ ही एनसीपी छोड़कर सरकार में शामिल हुए विधायकों को मंत्री पद भी दी गई। इसके बाद से ही एनसीपी में विभाजन और पार्टी पर कंट्रोल को लेकर बयानबाजी की जा रही है। कभी अजित पवार गुट पार्टी पर कंट्रोल की बात करता है तो कभी शरद पवार गुट अपने हाथ में पार्टी होने की बात करता है।
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