मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन था। आज के दिन महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA) विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव करवाने के प्रयास में जुटी थी। लेकिन इस मामले में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की तरफ से ग्रीन सिग्नल ना मिलने की वजह से चुनाव ना करवाने का फैसला लिया गया है। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव टल जाने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के नेता आमने सामने आ गए हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के मुताबिक उपमुख्यमंत्री अजित पवार कल शाम तक निलंबित विधायक की बहाली के लिए तैयार नहीं थे, जबकि सदन में अजित पवार ने ज्यादा दिनों तक विधायकों के निलंबन को ज्यादती बताया।
इस पर खुलासा करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, "कांग्रेस को सहयोगियों के साथ समन्वय करना चाहिए था, अध्यक्ष पद हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन कोई प्रयास नहीं किया गया फिर चाहे बालासाहेब थोरात हो या नाना पटोले। वही एचके पाटिल दिल्ली में थे, उन्हें मुंबई आना चाहिए था और यहां विधायकों का मार्गदर्शन कर सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं किया। बालासाहेब थोरात ने भी एमवीए नेताओं के साथ समन्वय नहीं किया, वे एमवीए समन्वय समिति में हैं।
कांग्रेस के इस नेता ने यह तक कहा कि नाना पटोले के राज्यपाल के साथ अच्छे संबंध है। वह उनसे चाय पर मिल सकते थे और उनसे पद पर नरमी के लिए अनुरोध कर सकते थे जो नहीं हुआ। यह हमारी विफलता है हमने चीजों को हल्के में लिया, सरकार और विपक्ष के साथ हमेशा ताल मेल होना चाहिए लेकिन हम समन्वय करने में विफल रहे। अंततः यह शिवसेना या राकांपा नहीं कांग्रेस की हार है, हम 12 विधायकों का निलंबन वापस ले सकते थे और चुनाव करवा सकते थे। हमें स्पीकर मिल जाता लेकिन आज तक अजित पवार विधायकों को बहाल करने के पक्ष में नहीं थे और अब विधानसभा में उन्होंने विपक्ष का समर्थन किया है।
वही एनसीपी के भी एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर उलटा कांग्रेस के नेता ही ज्यादा इछुक नहीं थे। कांग्रेस मंत्रियों में डर था कि क्या पता आलाकमान किसको मंत्रीपद छोड़ने का आदेश दे अध्यक्ष बनने के लिए। एनसीपी के नेता यह भी कह रहे है कि नाना पटोले को बिना चर्चा विधानसभा अध्यक्ष पद छोड़ने की जरूरत ही नही थी। अगर वो पद छोड़ने का निर्णय न लेते तो ये नौबत न आती।