हिंदुत्ववादी उद्धव ठाकरे की रैली में हजारों मुसलमानों को शामिल होने की अपील किसने और क्यों की?
अब ठाकरे महाराष्ट्र के हर जिले, शहर में जाकर सीधे जनता से संवाद करने वाले है। आज उद्धव ठाकरे की पहली जनसभा महाराष्ट्र के कोंकण प्रांत के खेड तहसील में होने वाली है। इस रैली को कामयाब बनाने के लिए ठाकरे गुट ने कमर कस ली है।
चुनाव आयोग में एकनाथ शिंदे से मात खाने के बाद उद्धव ठाकरे के हाथ से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह निकल चुका है। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट का फैसला चाहे जो आए लेकिन अब सीधे जनता की अदालत में जाकर इंसाफ मांगने की रणनीति उद्धव ठाकरे ने बनाई है। इसी कड़ी में अब ठाकरे महाराष्ट्र के हर जिले, शहर में जाकर सीधे जनता से संवाद करने वाले है। आज उद्धव ठाकरे की पहली जनसभा महाराष्ट्र के कोंकण प्रांत के खेड तहसील में होने वाली है। इस रैली को कामयाब बनाने के लिए ठाकरे गुट ने कमर कस ली है। पूर कोंकण से सच्चे शिवसैनिकों को इस रैली में शामिल होने की विनती की गई है। लेकिन उद्वव की इस रैली में शामिल होने के लिए जारी किए गए एक पत्र ने सभी को अचंभित कर दिया है। ये पत्र जारी किया है मराठी मुस्लिम सेवा संघ ने।
मुस्लिम संघ ने खत में क्या लिखा..
मराठी मुस्लिम सेवा संघ द्वारा जारी किए गए पत्र में लिखा है कि संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए लड़ रहे हैं। महाराष्ट्र के नेता उद्धव ठाकरे की रैली 5 मार्च को खेड तहसील में होने वाली है। कोंकण में रहने वाले मुस्लिम हजारों की संख्या में उद्धव ठाकरे की इस रैली में शामिल हों। संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता खत्म कर, पैसे के दम राजनीतिक दल को खत्म करने की कोशिश करने वाले दृष्ट और देश के लिए घातक शक्ति के खिलाफ सभी को एक साथ आकर लड़ना जरूरी है। इस पत्र में लिखा गया है कि देश विभाजक शक्तियों के खिलाफ उद्धव ठाकरे द्वारा शुरू किए गए इस युद्ध में हम सभी शामिल होकर उनका साथ देंगे। केंद्र सरकार द्वारा अल्पसंख्यक समाज के विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप को खत्म कर दिया गया है। साथ ही बेरोजगारी समेत कई मुद्दों और संविधान बचाने की लड़ाई में हम सभी को शामिल होना चाहिए।
मराठी मुसलमान क्यों जुड़ रहें है ठाकरे के साथ?
बाल ठाकरे के शिवसेना की कमान जब से उद्धव के हाथ में आई है तभी से वो शिवसेना का चेहरा बदलने की कोशिश कर रहे थे। हिंदुत्व से आगे बढ़कर समाज के सभी तबकों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश उद्धव कर रहें हैं, ताकि शिवसेना का जनाधार बढ़े और पार्टी की सीटें भी। मुसलमान और उद्धव ठाकरे की नजदीकियां बढ़ना शुरू हुईं साल 2019 से, जब उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। सीएम पद पर बने रहने के लिए उद्धव ठाकरे ने MVA के साथी दल कांग्रेस और एनसीपी की तरह खुद को सेक्युलर पार्टी के नेता के रुप में पेश किया।
कट्टर हिंदूत्व की बजाय उद्धव ने अपनी पार्टी को बहुजन हिंदुत्व की विचारधारा को मानने वाली पार्टी के रुप में प्रचारित किया। उद्धव ठाकरे अपनी सर्वसमावेशी रणनीति के जरिए मराठी मुस्लिम समाज को धीरे धीरे अपने करीब लाए। कांग्रेस, एनसीपी के यूज एंड थ्रो की रणनीति से परेशान हो चुके महाराष्ट्र के मराठी मुस्लिम समाज को भी नए लीडर की तलाश थी। शिवसेना ने ऐसा माहौल बनाया कि ठाकरे की कार्यकाल के दौरान महाराष्ट्र का मुस्लिम समाज खुद को बहुत ही सुरक्षित है। शिवसेना अपने इस रणनीती में कामयाब भी हुई।
उद्धव के साथ आया मुस्लिम संघ
मराठी मुसलमानो का बड़ा वर्ग धीरे धीरे उद्धव ठाकरे से जुड़ने लगा। MVA में शामिल होने के बाद से ही शिवसेना का परंपरागत हिंदू वोटबैंक उद्धव ठाकरे से नाराज होकर उनसे अलग हो गया है। ऐसे में ठाकरे को भी नए वोटबैंक की तलाश थी, जो अब मराठी मुस्लिम मतदाताओं के साथ आने के बाद खत्म हो गई है। महाराष्ट्र की कुल आबादी में करीब 2 करोड़ मराठी मुसलमान है। पूरे राज्य में करीब 180 छोटे-बड़े मराठी मुस्लिमों के संगठन हैं जिन्हें मराठी मुस्लिम सेवा संघ एक साथ लाने में कामयाब हो चुका है। मराठी मुस्लिम संगठन का दावा है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में ठाकरे सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभर सकतें हैं।