Mumbai News: मुंबई में दूर के इलाकों को करीब लाने की कवायद, समुद्र तट पर बनाई जा रही सड़कें, यहां जानिए पूरी डिटेल
Mumbai News: मुंबई कोस्टल रोड परियोजना के तहत मुंबई के मरीन ड्राइव से उत्तर मुंबई के कांदिवली को समुद्र मार्ग से जोड़ा जाएगा। मरीन ड्राइव से कांदिवली का अंतर करीब 22.02 किलोमीटर है।
Highlights
- मरीन ड्राइव से वर्ली सी लिंक तक का 50 से 60 मिनट का सफर करीब 20 मिनट में पूरा हो जाएगा
- कोस्टल रोड परियोजना का एक अहम हिस्सा है ‘सी वॉल‘
- हाई टाइड के समय टनल अंदर आ जाता है समुद्र का पानी
Mumbai News: मुंबईकरों को रोजाना कई घंटे ट्रैफिक जाम में बिताना पड़ता है। शहर पुराना है। जगह की भी कमी है और आबादी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में ट्रैफिक की समस्या दिन-ब-.दिन गंभीर बनती जा रही है। मुंबई में नई सड़क बनाने के लिए जमीन नहीं है। इसलिए कुछ साल पहले पर्याय के रूप में मुंबई के समुद्र तट पर ही सड़क बनाने का विचार किया जाने लगा। मुंबई के तटीय इलाके के सर्वे के बाद जब एक्सपर्ट्स से ग्रीन सिग्नल मिला तभी से आगाज हुआ मुंबई कोस्टल रोड परियोजना के सपने का जो अब धीरे धीरे मुक्कमल हो रहा है। प्रस्तावित योजना के मुताबिक, मुंबई कोस्टल रोड परियोजना के तहत मुंबई के मरीन ड्राइव से उत्तर मुंबई के कांदिवली को समुद्र मार्ग से जोड़ा जाएगा। मरीन ड्राइव से कांदिवली का अंतर करीब 22.02 किलोमीटर है।
कोस्टल रोड परियोजना के दो चरण हैं
1. पहला चरण
मुंबई के मरीन ड्राइव से वर्ली सी लिंक 10.58 किलोमीटर
2. दूसरा चरण
वर्ली सी लिंक से कांदिवली 12.04 किलोमीटर
साल 2018 में शुरु हुआ था कोस्टल रोड़ बनने का काम
कोस्टल रोड प्रोजेक्ट के पहले चरण की कुल लागत साढ़े 12 हजार करोड़ से ज्यादा है। कोस्टल रोड का निर्माण कार्य साल 2018 में शुरू हुआ था। चार साल में इस प्रोजेक्ट का काम 62 फीसदी पूरा हो गया है। इस प्रोजेक्ट को नवंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
कोस्टल रोड की ये है खासियत
- मरीन ड्राइव के प्रिंसेस स्ट्रीट से लेकर प्रियदर्शनी पार्क तक समुद्र तट के नीचे 2 किलोमीटर लंबा दो समानांतर टनल बन रहा है।
- यह देश का पहला ऐसा टनल है, जिसका व्यास 11 मीटर है और जो समुद्र तट के इतने करीब बना है।
- कोस्टल रोड पर 3 इंटरचेंज और 4 अंडरग्राउंड पार्किंग होंगे।
- कोस्टल रोड 8 लेन वाला फ्री-वे होगा।
- मोनोपाइल तकनीक का इस्तेमाल कर कुल 176 पिलर्स का निर्माण किया जा रहा है।
- पहला चरण पूरा हो जाने के बाद वहां एक तितली उद्यान, विविधता पार्क के साथ साथ शहर के लिए 8.50 किलोमीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा समुद्र सैरगाह बनाया जाएगा।
- साइकिल ट्रैक, ओपन एयर थिएटर, पर्यटकों के बैठने के लिए जगह सहित 1800 गाड़ियों के लिए अंडरग्राउंड पार्किंग भी बनाई जाएगी।
111 हेक्टेयर जमीन का इस रोड़ के लिए किया गया है अधिग्रहण
कोस्टल रोड के लिए कुल 111 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है। इसमें से 26.50 हेक्टेयर जमीन पर परियोजना का निर्माण, 14.50 हेक्टेयर जमीन पर समुद्र सुरक्षा दीवार और 70 हेक्टेयर जमीन का उपयोग सार्वजनिक स्थान बनाने के लिए किया जाएगा।
कोस्टल रोड परियोजना के ये हैं फायदे
- मरीन ड्राइव से वर्ली सी लिंक तक का 50 से 60 मिनट का सफर करीब 20 मिनट में पूरा हो जाएगा
- ध्वनि और वायु प्रदूषण कम होगा
- करीब 34 फीसदी ईंधन की बचत होगी
- दक्षिण और पश्चिम मुंबई की कनेक्टिविटी में सुधार होगा
- प्रदूषण कम होने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा
कोस्टल रोड परियोजना का एक अहम हिस्सा है ‘सी वॉल‘
मुंबई तटीय शहर होने की वजह से अक्सर अरब सागर से हाई लहरें उठती है। विशेष कर मानसून के दौरान जब हाई टाइड होता है, तब ऊंची लहरें उठती हैं। इन विशाल लहरों से कोस्टल रोड के स्ट्रक्चर को नुकसान ना पहुंचे इसलिए तट पर मजबूत समुद्र दीवार बनाई जा रही है। सी वॉटर लेवल से करीब 8 मीटर ऊंची दीवार बनाई जा रही है।
इन सी वॉल्स की अहमियत के बारे में क्वालिटी एश्योरेंस इंजीनियार वसीम पटेल और साइट इंजीनियर अरविंद सोनकुसारी ने विस्तार से बताया है कि कैसे सी वॉल हाई टाइड और सुनामी जैसी स्थिति में कोस्टल रोड के स्ट्रक्चर की रक्षा करेंगे।
कोस्टल रोड का सबसे अहम फिचर है टनल
देश के सबसे बड़े टनल बोरिंग मशीन ‘मवला‘ की मदद से इस टनल की खुदाई की गई। गिरगांव चौपाटी मलबार हिल से लेकर प्रियदर्शनी पार्क तक यह टनल बनाई गई है। पहले टनल का काम लगभग पूरा हो गया है। दूसरे समानांतर टनल का काम करीब 60 फीसदी पूरा हो गया है। मलबार हिल में यह टनल जमीन से करीब 75 मीटर नीचे तो गिरगांव चौपाटी में यह टनल जमीन से 25 मीटर नीचे बना है।
टनल को बनाने में क्या आई थीं चुनौतियां
इस टनल को बनाने में कई चुनौतियां थीं। समुद्र से उठती लहरें थी बावजूद इसके कडी मेहनत के बाद इस टनल का पहला हिस्सा बनकर तैयार हो गया है। टनल में सुरक्षा के सभी पहलुओं का ख्याल रखा गया है जैसे टनल में हर 300 मीटर पर क्रॉस वे होगा। गाड़ी चालक के चलने के लिए वॉक-वे होगा। एक टनल में 3 लेन होंगे। दो लेन गाड़ियों के लिए जबकि तीसरा लेन इमरजेंसी हालात के लिए होगा। टनल में फायर सेफ्टी का भी इंतजाम किया गया है। यहां दिन रात काम हो रहा है। मेन जंक्शन होने की वजह से ट्रैफिक की समस्या लगातार होती है। इन तमाम परेशानियों के बावजूद निर्माण कार्य निरंतर जारी है। प्रोजेक्ट इंजीनियर चेतन खेडेकर ने बताया कि कैसे पूरा निर्माण कार्य चल रहा है। कब तक प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।