हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी भारत छोड़कर तो फरार हो गया है, लेकिन उसकी मुसीबतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी की मुसीबत एक बार फिर बढ़ गई है। दरअसल चोकसी ने मुंबई हाईकोर्ट में उसके खिलाफ चल रही फ्यूजीटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर (FEO) की कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे अब कोर्ट ने खारिज कर दिया है। केंद्रीय जांच एजेंसियों के लिए अब प्रक्रिया को शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस दौरान कहा कि इस बाबत उनके सामने चार मामले आए हैं जिन्हें खारिज कर दिया गया ह।
मेहुल चोकसी की बढ़ी मुश्किलें
मुंबई हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए चार याचिकाओं पर अपने आदेश को इस महीने सुरक्षित रखा लिया था। बता दें कि मेहुल चोकसी और उसका भतीजा नीरव मोदी दोनों ही हीरा कारोबारी हैं। इन दोनों ने लाखों करोड़ों का घोटाला किया है, जिसके बाद मोदी और चोकसी दोनों को ही एफईओ की लिस्ट में डाला गया है। चोकसी ने इसी के तहत होने वाली कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायलय में अपील दायल की थी। 2018 के इस कानून के मुताबिक केवल उस व्यक्ति को एफईओ घोषित किया जा सकता है, जिसपर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के घपलेबाजी का आरोप है। साथ ही आरोपी देश छोड़ चुका हो या फिर वह देश लौटने को तैयार न हो।
हजारों-करोड़ों का है घोटाला
बता दें कि मेहुल चोकसी पर 14,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से धोखाधड़ी का आरोप है। जनवरी 2020 में उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत की कार्यवाही द्वारा पारित किए जाने वाले अंतिम आदेश पर रोक लगा दी थी। इस साल अगस्त में ईडी ने इस रोक की समीक्षा के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया और दावा किया कि चोकसी पहले ही देश से भाग चुका है। ईडी के वकील हितेन वेनेगांवकर ने दलील दी कि चोकसी पीएमएलए अधिनियम के तहत आरोपी है। उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश कारण उसके खिलाफ अभियोजन लंबित है।