Maharashtra: शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जबकि बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शाम साढ़े सात बजे के बाद दक्षिण मुंबई स्थित राजभवन में दोनों नेताओं को पद की शपथ हलांकि यह सब जब हो रहा था तब देश के अधिकांश लोगों के मन में एक ही सवाल था, आखिर बीजेपी ने शिंदे को CM क्यों चुना? आइए, 6 पॉइंट्स में जानते हैं इस सवाल के जवाब:
1: 2024 के चुनावों पर है बीजेपी की नजर
भारतीय जनता पार्टी का फैसला कई चौंकाने वाला लग सकता है लेकिन यह हिंदुत्व के साथ ही शिवसेना के साथ जुड़ी क्षेत्रीय भावना को भी अपने पक्ष में लाने के मकसद को दिखाता है। बीजेपी का यह फैसला ऐसे समय में और अहम हो जाता है जब पार्टी की निगाहें 2024 के लोकसभा चुनावों और उसी साल राज्य में विधानसभा चुनावों की बड़ी लड़ाई पर टिकी हैं।
2: सूबे में मजबूत होगी बीजेपी की पकड़
कभी कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली शिवसेना की जूनियर पार्टनर रही बीजेपी अब व्यवहारिक रूप से इसे कंट्रोल कर रही है। बीजेपी को उम्मीद है कि इस नई भूमिका में एकनाथ शिंदे क्षेत्रीय भावनाओं को अपने साथ वैसे ही जोड़ पाएंगे जैसे शिवसेना जोड़ती रही है। हिंदुत्व और जातीय उप-राष्ट्रवाद से शिवसेना को दूर करने का यह रणनीतिक कदम उसे नुकसान पहुंचाने के बीजेपी के प्रयासों को और बल देगा।
3: ‘शिंदे के सरकार में टॉप पर होने से फायदा’
बीजेपी के राज्यसभा सांसद धनंजय महाडिक ने कहा कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे लॉन्ग टर्म योजना है। महाडिक ने कहा कि 2024 में 175 सीट जीतने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शिंदे को सीएम बनाया गया है। वहीं, बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि शिंदे गुट में से एक के सरकार में टॉप पर होने से और शिवसैनिकों व पार्टी पदाधिकारियों का समर्थन मिलने से उसे ज्यादा मजबूती मिल सकती है।
4: ठाकरे का कंट्रोल खत्म करना चाहती है बीजेपी
कहा जा रहा है कि बीजेपी के इस कदम का मकसद शिवसेना को कमजोर करके इसे ठाकरे परिवार की पहचान से बाहर निकालना है। शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने अचानक से उनका कद काफी बड़ा कर दिया है। एक मराठे को सीएम बनाकर बीजेपी ने ठाकरे के सामने काफी बड़ा चैलेंज रखा है। बीजेपी की कोशिश यह है कि वह देश की तरह महाराष्ट्र में भी हिंदुत्व को स्थानीय भावनाओं पर भारी कर दे।
5: शिंदे का मराठा जाति से होना भी एक कारण
शिंदे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना जैसे दलों के प्रति सहानुभूति रखने वाली राज्य की सबसे प्रभावशाली जाति मराठा से आते हैं। ऐसे में बीजेपी के पक्ष में इस समुदाय को भी शिंदे लुभा सकते हैं। आने वाले हफ्तों और महीनों में शिवसेना के दोनों धड़ों में सियासी जंग और तेज होने की उम्मीद है । यह मामला अभी चुनाव आयोग तक भी जाएगा। ऐसे में जमीनी स्तर से उभरे मराठा राजनेता शिंदे को पार्टी के हिंदुत्व और जातीय उप-राष्ट्रवाद से जोड़ने वाली पहचान उद्धव ठाकरे की संभावनाओं पर असर डाल सकती है।
6: कमाल कर सकता है शिंदे और फडणवीस का कॉम्बिनेशन
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस, जिन्हें राज्य में पार्टी का चेहरा और शिवसेना में विद्रोह के पीछे एक प्रमुख नेता के रूप में देखा जाता है, जाहिर तौर पर नेतृत्व की शिंदे की पसंद से खुश नहीं हैं। उन्होंने घोषणा की कि वह नए मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होंगे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व द्वारा उन पर दबाव डाला गया और उन्होंने भी डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। हालांकि फडणवीस और शिंदे अगर साथ मिलकर एक दिशा में काम करते हैं तो इससे निश्चित तौर पर गठबंधन को 2024 के चुनावों में फायदा होगा।