ठाणे: क्या आपने कभी सुना है कि किसी मछली की उल्टी की भी तस्करी हो सकती है? लेकिन ये सच है और इसकी कीमत करोड़ों में होती है। इसे एम्बरग्रीस कहते हैं।
ठाणे क्राइम ब्रांच की कल्याण इकाई ने व्हेल मछली की उल्टी की तस्करी के आरोप में तीन आरोपियों अनिल भोसले, अंकुश शंकर माली और लक्ष्मण शंकर पाटिल को गिरफ्तार किया। इन तीनों को अदालत में पेश किया गया और पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया। ये जानकारी ठाणे पुलिस ने दी है।
क्यों है करोड़ों में कीमत?
दरअसल व्हेल मछली समुद्र में तमाम तरह की छोटी-बड़ी चीजों का सेवन करती है। जब ये चीजें पच नहीं पातीं तो व्हेल मछली उल्टी (vomit) कर देती है। इस उल्टी को एम्बरग्रीस कहते हैं। यह दिखने में मोम के ठोस पत्थर की तरह दिखती है और डार्क कलर की होती है।
इसकी कीमत बाजारों में करोड़ों रुपए की है क्योंकि इसका इस्तेमाल परफ्यूम बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां करती हैं। उनका मानना है कि इससे बनी खुशबू लंबे समय तक टिकती है। यही वजह है कि ये कंपनियां व्हेल मछली की उल्टी के ऊंचे दाम देती हैं।
इसके अलावा कई बीमारियों के इलाज में भी व्हेल मछली की उल्टी का इस्तेमाल होता है। कई जगह इससे दवाइयां बनती हैं। यौन रोगों में इसका इस्तेमाल खूब किया जाता है।
भारत में उल्टी को बेचने पर है रोक
वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट 1972 के तहत, व्हेल मछली की उल्टी को रखना या बेचने पर रोक है। इसके अलावा व्हेल के किसी भी बाई प्रोडेक्ट के व्यापार पर भी बैन लगा हुआ है। हालांकि इंटरनेशनल मार्केट में इसकी काफी डिमांड रहती है। जानकार बताते हैं कि मिस्र में तो सिगरेट के फ्लेवर में व्हेल की उल्टी का इस्तेमाल होता है।