Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर मामले में सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच करेगी फैसला
इससे पहले कोर्ट ने 9 दिनों तक दोनों पक्षों की और राज्यपाल कार्यालय की दलीलों को सुना था। इस दौरान उद्धव गुट ने एकनाथ शिंदे व उनकी गुट की बगावत और फिर सरकार बनाने को गैरकानूनी बताया।
Eknath Shinde Vs Uddhav Thackeray Row: महाराष्ट्र में विधानसभा अध्यक्ष की शक्ति को लेकर विवाद पर आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका फैसला 5 से ज्यादा जजों की बेंच करेगी। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 16 मार्च के दिन इस मामले में फैसले को अपने पास सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि कोर्ट ने 9 दिनों तक दोनों पक्षों की और राज्यपाल कार्यालय की दलीलों को सुना था। इस दौरान उद्धव गुट ने एकनाथ शिंदे व उनकी गुट की बगावत और फिर सरकार बनाने को गैरकानूनी बताया। वहीं एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि विधायक दल में टूट के बाद राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश देकर सही किया गया था।
क्या है शिंदे और ठाकरे गुट का विवाद
बता दें कि साल 2022 में शिवसेना में फूट के बाद एकनाथ शिंदे समेत कई विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर लिया था। इस कारण राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन किया गया। इस मामले में जुलाई 2022 के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। अगस्त में इस मामले को संविधान पीठ को सौंपा गया था। इस मामले को चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली संविधान पीठ ने सुना।
उद्धव गुट का मत
कोर्ट में सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर शिंदे सरकार को चलाने की अनुमति दी जाती है तो आगे भविष्य के लिए यह गलत उदाहरण बनेगा। वहीं कोर्ट में मांग की गई कि राज्य में पुरानी स्थिति बहाल की जाए। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति ने फ्लोर टेस्ट से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उस व्यक्ति को दोबारा कैसे पद पर बहाल किया जा सकता है। बता दें कि एकनाथ शिंदे की तरफ से कोर्ट में वकील नीरज किश कौल और महेश जेठमलानी ने पक्ष रखा था।
सीएम एकनाथ शिंदे समेत इनपर लटकी अपात्रता की तलवार
सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले पर फैसला सुनाने वाला है। ऐसे में एकनाथ शिंदे समेत कुल 15 लोगों को अपात्रता की तलवार लटकी हुई है। इनमें एकनाथ शिंदे, बालाजी किन्हीकर, महेश शिंदे, चिमनराव पाटिल, अनिल बाबर, संजय रायमुलकर, प्रकाश सुर्वे, लता सोनवणे, रमेश बोरणारे, बालाजी कल्याणकर, संजय शिरसाठ, संदीपान भूमरे, अब्दुल सत्तार, तानाजी सावंत, भारत गोगावाले, यामिनी जाधव शामिल हैं। बता दें कि अगर फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके 15 विधायको के खिलाफ भी आता है तब भी सरकार को कोई खतरा नही होगा।
क्यों बनी रहेगी सरकार ?
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 288 है। 16 अपात्र भी हुए तो संख्या 272 होगी। ऐसे में बहुमत के लिए 137 विधायको का समर्थन जरूरी। बीजेपी शिवसेना के पास कुल 164 विधायकों का समर्थन है। 164 से 16 अपात्र हुए तो भी संख्याबल 148 होगा। ऐसे में राज्य में भाजपा सरकार को किसी भी तरह का खतरा नहीं है।