Sharad Pawar On Uddhav Thackeray Mistake: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में उद्धव ठाकरे को लेकर टिप्पणी की थी। इस किताब में उन्होंने लिखा था कि उद्धव ठाकरे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से 'बिना संघर्ष' के इस्तीफा देना गलत था। उनके द्वारा अपनी आत्मकथा में यह लिखे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला जिसमें कोर्ट ने पुष्टि की कि बिना फ्लोर टेस्ट के इस्तीफा देना उद्धव ठाकरे की बड़ी भूल थी। जून 2022 में बिना फ्लोर टेस्ट के ही और विधानसभा में बिना बहुमत साबित किए बिना उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कही शरद पवार वाली बात
इस बाबत सुप्रीम कोर्ट ने अपने 11 मई को दिए अपने फैसले में कहा कि वह महाविकास अघाड़ी सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कोर्ट उद्धव ठाकरे सरकार की बहाली का आदेश नहीं दे सकता है। क्योंकि उन्होंने बिना फ्लोर टेस्ट का सामना किए बगैर ही इस्तीफा दे दिया था। हालांकि फ्लोर टेस्ट के लिए राज्यपाल का फैसला गलता था और एकनाथ शिंदे समूह का व्हिप नियुक्त करने में स्पीकर गलत थे। सीजेआई ने कहा कि यहां यथास्थिति को बहान नहीं किया जा सकता है क्योंकि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण के बगैर ही अपना इस्तीफा दे दिया था।
शिवसेना का नेतृत्व रहा विफल
इस कारण राज्य में सबसे बज़ी पार्टी होने के कारण शिंदे को शपथ दिलाना राज्यपाल के लिए उचित था। इस बाबत कांग्रेस के नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भी एकनाथ शिंदे और कई अन्य शिवसेना के विधायकों की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के इस्तीफे को बड़ती गलती करार दिया था। चव्हाण ने फेसबुक लाइव के माध्यम से कहा था कि ठाकरे को इस्तीफा देने के बजाय शक्ति परीक्षण का सामना करना चाहिए था। शरद पवार ने अपनी आत्मकथा 'लोक माझे सांगाती' में लिखा था ‘‘असंतोष को शांत करने में शिवसेना नेतृत्व विफल रहा।।।जैसे ही उद्धव ठाकरे ने बिना संघर्ष किए इस्तीफा दे दिया, सत्ता में एमवीए का कार्यकाल समाप्त हो गया।’’