PFI के वीडियो में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे, FIR में पुणे पुलिस का यू टर्न, देशद्रोह का आरोप लगाने से इनकार
Maharashtra News: पुलिस ने शुक्रवार को जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में गैर-कानूनी तरीके से जमा होने के आरोप में 60-70 संदिग्ध पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
Maharashtra News: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की ओर से शुक्रवार को आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से पाकिस्तान समर्थक नारेबाजी के मामले में दर्ज प्राथमिकी में देशद्रोह की धारा जोड़े जाने संबंधी बयान से पलटते हुए पुलिस ने रविवार की शाम कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया गया है। इससे पहले बंडगार्डन पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक प्रताप मानकर ने बताया कि प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 120 बी (आपराधिक साजिश), 124 ए (देशद्रोह की सजा), 153 ए और बी (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) जोड़ी गई है, लेकिन पुलिस उपायुक्त सागर पाटिल (जोन-दो) बाद में यह स्पष्ट किया कि यह आरोप नहीं लगाया गया है।
पुलिस ने शुक्रवार को जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में गैर-कानूनी तरीके से जमा होने के आरोप में 60-70 संदिग्ध पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मानकर ने बताया था कि प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 120 बी (आपराधिक साजिश), 124 ए (देशद्रोह की सजा), 153 ए और बी (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) जोड़ी गई है। पुलिस थाने के वरिष्ठ निरीक्षक प्रताप मानकर ने बताया, "हमने पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज की थी। हमने मामले में कुछ और धाराएं जोड़ी हैं और आगे की जांच जारी है।"
'सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि यह धारा नहीं लगाई जा सकती'
हालांकि, पाटिल ने बाद में कहा, "हमने धारा 124 ए नहीं जोड़ी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि यह धारा नहीं लगाई जा सकती है, क्योंकि इससे संबंधित मामला पहले से अदालत में विचाराधीन है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मई में औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कि एक उपयुक्त सरकारी मंच इसकी फिर से जांच नहीं कर लेता और केंद्र एवं राज्यों को अपराध का हवाला देते हुए कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का निर्देश दिया था।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया था, जिसमें कथित तौर पर दिखाया गया था कि 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा उस समय दो बार लगाया गया था, जब आंदोलनकारी पीएफआई कार्यकर्ताओं को एक पुलिस की गाड़ी में डाला जा रहा था। संगठन पर हाल ही में देशभर में हुई छापेमारी और उसके कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने करीब 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।
'कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे, गहन जांच की जा रही'
पाटिल ने आज दिन में कहा था कि कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं और इनकी गहन जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया पर उपलब्ध वीडियो को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा और हम सख्त कार्रवाई करेंगे।" इससे पहले महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "दो अलग-अलग वीडियो आए हैं और उनकी जांच की जाएगी, लेकिन महाराष्ट्र में अगर कोई पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाता है, तो हम उन्हें नहीं बख्शेंगे। हमने देशद्रोह के आरोपों के तहत केस दर्ज किया है।"
'भारत विरोधी नारेबाजी न तो राज्य में और न ही देश में बर्दाश्त की जाएगी'
वहीं, इससे पहले फडणवीस ने पुणे के पुलिस आयुक्त को देशद्रोह का आरोप लगाने का निर्देश दिया था। उन्होंने पुणे में संवाददताओं से कहा, "हम ऐसे नारों का समर्थन नहीं करेंगे। भारत विरोधी नारेबाजी न तो राज्य में और न ही देश में बर्दाश्त की जाएगी। मैंने पुणे पुलिस आयुक्त को मामले में देशद्रोह की धारा लगाने का निर्देश दिया है। देशभर में पीएफआई पर हुई छापेमारी के दौरान महाराष्ट्र और कर्नाटक में 20-20, तमिलनाडु में दस, असम में नौ, उत्तर प्रदेश में आठ, आंध्र प्रदेश में पांच, मध्य प्रदेश में चार, पुडुचेरी और दिल्ली में तीन-तीन, जबकि राजस्थान में दो लोग गिरफ्तार किए गए थे।