Maharashtra News: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने हाल ही में अपनी कैबिनेट का विस्तार किया है। लेकिन उनपर हामले पहले भी हो रहे थे और वार अब भी जारी हैं। इस बार महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने आरोप लगाए हैं। दानवे ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वर्षा से प्रभावित कुछ जिलों में गए, लेकिन उन्होंने किसानों से मिलने का समय नहीं निकाला, क्योंकि वह अपने खेमे के विधायकों को खुश रखने की कोशिश में बहुत व्यस्त हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के धड़े के नेता दानवे ने कहा कि शिंदे नीत मंत्रिमंडल के विस्तार के बावजूद मंत्रालयों के आवंटन को लेकर रस्साकशी हो रही है।
"राज्य में कोई सरकार है भी या नहीं"
मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के 40 से अधिक दिन बाद शिंदे ने 9 अगस्त को 18 नए मंत्रियों को शामिल करके अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिनमें शिवसेना के बागी धड़े के 9 और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 9 नेता हैं। बहरहाल, अभी मंत्रालयों का बंटवारा नहीं हुआ है। दानवे ने मराठवाड़ा क्षेत्र के वर्षा प्रभावित नांदेड़ और हिंगोली जिलों के अपने दौरे की शुरुआत से पहले नांदेड़ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा, "राज्य में लंबे समय तक दो लोगों (मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस) की सरकार थी और सभी मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास थे। लोगों को अब भी संदेह होता है कि राज्य में कोई सरकार है भी या नहीं।"
अंबादास दानवे ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के तीन दिन बाद भी शिंदे कैबिनेट के भीतर मंत्रालयों को लेकर रस्साकशी जारी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नांदेड़ और हिंगोली आए और वर्षा प्रभावित गांवों का दौरा करने की घोषणा की, लेकिन वे वहां नहीं गए। वह अपने खेमे में विधायकों को खुश रखने में व्यस्त हैं। दानवे ने शिंदे-भाजपा सरकार पर 'किसान-विरोधी' होने का आरोप लगाया।
महाराष्ट्र सरकार किसानों को नहीं दे रही मदद
इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए पैसा दे रही है लेकिन बारिश से प्रभावित किसानों को मदद नहीं दी जा रही। औरंगाबाद से शिवसेना नेता दानवे विधान परिषद में विपक्ष के नेता बनने के बाद पहली बार यहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा, ‘‘एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार में लगभग 40 दिन का समय लगा दिया। इस दौरान किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ गए और किसानों की समस्याएं अनसुनी रहीं।’’