महाराष्ट्र में होगा मुसलमानों का सर्वे, सपा विधायक रईस शेख बोले- ढ़ाई साल तक MVA ने नहीं दी थी इजाजत
दरअसल, आजादी के इतने बरस बाद भी महाराष्ट्र के कई जिलों में अब भी एक बड़ा मुस्लिम तबका गरीब है। झुग्गियों में रहने वाले इस वर्ग के पास खुद का घर नहीं है, शिक्षा से बहुत दूर है, उनकी सामाजिक स्थिति भी अच्छी नहीं है।
Highlights
- महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर मुस्लिम समाज का एक वर्ग पिछड़ा हुआ है
- महाराष्ट्र के कई जिलों में अब भी एक बड़ा मुस्लिम तबका गरीब है
- विकास की मुख्य धारा में लाना इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य है
Maharashtra News: महाराष्ट्र की नई हिंदुत्ववादी शिंदे-फडणवीस सरकार के एक फैसले ने सबको हैरान कर दिया है। मुस्लिम समाज के विकास की पॉलिसी बनाने के लिए जरूरी सर्वे को करने का आदेश महाराष्ट्र सरकार ने दिया है। सर्वे करने वाली टीम मुस्लिम समाज के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का जायजा लेगी। इस सर्वे के जरिए मुस्लिम समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने, सरकारी योजनाओं को मुस्लिमों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। आखिर यह सर्वे है? इस तरह के सर्वे से कैसे मुस्लिम समाज के विकास में मदद मिलेगी देखी हमारी इस रिपोर्ट में-
सर्वे क्या है?
दरअसल महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर मुस्लिम समाज का एक वर्ग पिछड़ा हुआ है। ये वर्ग न सिर्फ आर्थिक बल्कि सामाजिक रूप में भी काफी गरीब है और विकास की मुख्यधारा से भी कटा हुआ है। इसी वर्ग का सर्वे किया जाएगा।
इस सर्वे का उद्देश्य क्या है?
दरअसल, आजादी के इतने बरस बाद भी महाराष्ट्र के कई जिलों में अब भी एक बड़ा मुस्लिम तबका गरीब है। झुग्गियों में रहने वाले इस वर्ग के पास खुद का घर नहीं है, शिक्षा से बहुत दूर है, उनकी सामाजिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। स्कूल ड्रॉपआउट का प्रतिशत बहुत ज्यादा है ऐसे में इस सर्वे के जरिए राज्य के मुस्लिम वर्ग की सही सामाजिक और आर्थिक स्थिति का पता लगाकर उन्हें विकास की मुख्य धारा में लाना इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य है।
सर्वे कैसे होगा?
महाराष्ट्र सरकार ने सर्वे का जिम्मा मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ( TISS) को दिया है। TISS महाराष्ट्र के 56 शहरों में यह सर्वे करेगी। सर्वे के दौरान मुस्लिम वर्ग के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिती का जायजा लिया जाएगा। सर्वे के दौरान 6 लोगों की टीम मुस्लिम मोहल्लों में जाएगी और वहां रह रहे लोगों का सर्वे कर आंकड़े जुटाएगी। इस सर्वे टीम में 2 रिसर्च ऑफिसर, 3 असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर, महिलाओं के शिक्षण और सामाजिक स्थिति का आकलन करने के लिए एक कंसलटेंट भी इस टीम का सदस्य होगा।
सर्वे के लिए महाराष्ट्र सरकार करेगी इतना खर्चा
जिन लोगों का सर्वे किया जाएगा उनके साथ डिटेल चर्चा की जाएगी, ग्रुप डिस्कशन भी होगा इस सर्वे के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा 33 लाख 41 हजार 49 रुपये खर्च किए जाएंगे। सर्वे के दौरान सर्वे टीम को फिल्ड पर कोई समस्या नहीं हो इसलिए उनकी मदद के लिए विधायक रईस शेख ने वॉलेटियर्स की एक टीम भी तैयार की है जो पूरे महाराष्ट्र सर्वे टीम को फिल्म मे मदद करेगी।
किसने की थी मुस्लिम समाज के सर्वे की मांग?
वर्ष दर वर्ष गरीब मुस्लिम समाज के पिछड़ने से आहात समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने मुस्लिम समाज के सर्वे की मांग का मुद्दा सदन से लेकर सड़क तक उठाया। ढ़ाई वर्षों तक MVA सरकार के दौरान रईस शेख लगातार इस मुद्दे को उठाते रहें लेकिन उनकी कोशिश कामयाब नहीं हुई।
इंडिया टीवी से बातचीत में रईस शेख ने बताया कि महाराष्ट्र में मुस्लिमों की मौजूदा स्थिति क्या है और यह सर्वे क्यों है जरूरी?
- साल 2013 में मेहमूदर रहमान कमेटी ने मुस्लिम समाज के सामाजिक और आर्थिक स्थिति का सर्वे किया था।
- पिछले 9 सालों में महाराष्ट्र में मुस्लिम समाज एक गरीब तबका सामाजिक और आर्थिक रूप से और भी पिछड़ गया है। खासकर कोरोना संकट के दौरान गरीब पिछड़े मुस्लिम समाज की स्थिति और भी दयनीय हो गई है।
क्यों पिछड़ा रह गया मुस्लिम समाज?
- सपा विधायक रईस शेख के मुताबिक, पिछले 60 वर्षों में तत्कालीन सरकारों ने मुस्लिम समाज के सर्वांगिण विकास के लिए बड़े कदम नहीं उठाए।
- पिछड़े मुस्लिम वर्ग को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की बड़ी पहल नहीं की गई। यही वजह है कि आज भी सामाजिक विकास के कई कई मान बिंदुओं पर मुस्लिम समाज पिछड़ा है।
- कई गरीब मुस्लिम परिवार के पुरुष सदस्य अन-ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में काम करते हैं। इस वजह से आर्थिक स्थिरता नहीं है।
- कोरोना के पहले तक 10-12 के बाद बच्चे स्कूल ड्रॉप होते थे लेकिन कोरोना के बाद स्कुल ड्रॉप का प्रतिशत कई गुना बढ़ गया है अब 5-6 क्लास के बाद बच्चे स्कुल मजबूरन छोड़ रहे हैं।
- शिक्षा की कमी से विकास में बाधा, सामाजिक विकास ना होना
- कईयों के पास ना तो खुद घर है ना ही स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं का वो लाभ ले पा रहें है
- रईस शेख का कहना है कि इस सर्वे के जरिए सियासी फायदा उठाने की कोशिश भारतीय जनता पार्टी नहीं कर रही है उनका मकसद सिर्फ मुस्लिमों का विकास है।
महाराष्ट्र में मुस्लिमों की कुल आबादी और मुस्लिम शहर कौन से है?
महाराष्ट्र की कुल आबादी करीब 12 करोड़ है इसमें मुस्लिम आबादी करीब 12 फ़ीसदी है। महाराष्ट्र में मुंबई, ठाणे, नवि मुंबई, मालेगांव, धुलिया, नासिक, औरंगाबाद, जालना, बीड, लातूर, परभणी, सोलापूर सहित कई शहरों में बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है
इस सर्वे से क्या फायदा होगा?
इस सर्वे के जरिए महाराष्ट्र में रहने वाले सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े मुस्लिम वर्ग की वर्ग का कुल डाटा मिलेगा। इस डेटा के जरिए सरकार को मुस्लिम समाज के विकास के लिए पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी। ये वो पॉलिसी होगी जिसके जरिए मुस्लिम समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकेगा, विकास की योजनाओं को मुस्लिमों तक पहुंचाया जाएगा साथ ही में मौजूदा सिस्टम में जो कमियां हैं उसे दूर किया जा सकेगा। सर्वे टीम जो भी रिपोर्ट सौंपेगी उस रिपोर्ट के आधार पर एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। यह टास्क फोर्स सरकार को मुस्लिम समाज के विकास के लिए कैसे कदम उठाने हैं इस संदर्भ में मार्गदर्शन करेगा।
इंडिया टीवी से बातचित में रईस शेख ने कई चौंकाने वाले दावे भी किए। रईस का कहना है कि पिछले ढाई साल से वह मुस्लिमों के सामाजिक और आर्थिक स्थिती का सर्वे करने की मांग कर रहे थे लेकिन महाविकास आघाडी सरकार ने न तो इस सर्वे की इजाजत दी और ना ही इस सर्वे के लिए लगने वाले निधि का आवंटन किया।
गौरतलब है कि महाविकास आघाडी सरकार में एक मुस्लिम विधायक नवाब मलिक ही अल्पसंख्यक मंत्री थे बावजूद इसके मुस्लिमों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए सबसे जरूरी इस सर्वे की इजाजत नहीं दी गई। शिंदे फडणवीस की सरकार भले ही हिंदुत्व की बात करती है लेकिन इस सरकार के आने के फौरन बाद मुस्लिमों के सर्वे की इजाजत दे दी गई। 34 लाख रुपये भी आवंटित कर दिए गए जिसके लिए हम उनके शुक्रगुजार है।
रजा अकादमी ने किया इस सर्वे का विरोध
वहीं मुस्लिम समाज के सर्वे पर महाराष्ट्र बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने इंडिया टीवी से कहा कि इस सर्वे को सियासत की नजर से ना देखें। हम मोदी जी के मार्ग पर चल रहे हैं.. सबका साथ सबका विकास हो इसलिए यह सर्वे कराया जा रहा है। वहीं रजा अकादमी ने इस सर्वे का विरोध किया है।