Maharashtra News: कर्नाटक के बाद अब महाराष्ट्र में टीपू सुल्तान और वीर सावरकर का मुद्दा तूल पकड़ने लगा है। महाराष्ट्र में आज सावरकर के मुद्दे पर सदन के बाहर खूब राजनीति गर्माती रही। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस ये बताए कि टीपू सुल्तान ने हिंदुओं पर कितने जुल्म किए। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर को समझने की कांग्रेस की स्थिति नहीं है। जो कांग्रेस देश का इतिहास ठीक से नहीं समझ पा रही, वह वीर सावरकर को क्या समझेगी। देवेंद्र फडणवीस के इस बयान के बाद विपक्षी कांग्रेस एनसीपी और ओवैसी की पार्टी AIMIM ने भी प्रतिक्रिया दी।
"बीजेपी कर रही मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश"
देवेंद्र फडणवीस के इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने प्रतिक्रिया दी। अशोक चव्हाण ने देवेंद्र फडणवीस पर हमला बोला और कहा कि फडणवीस और शिंदे की सरकार दूसरे अहम मुद्दे नहीं सुलझा सकती इसलिए जनता का ध्यान भटकाने के लिए सावरकर और टीपू सुल्तान के मुद्दे को तूल दिया जा रहा है। वहीं राज्य में पूर्व मंत्री और एनसीपी के नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी कहा कि बीजेपी बेरोजगारी जैसे मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाने के लिए फिजूल के मुद्दे उठा रही है। इतिहास को अपने फायदे के लिये बीजेपी अपने ढंग से पेश कर रही है।
सावरकर बनाम टीपू सुल्तान में AIMIM की एंट्री
वहीं सावरकर बनाम टीपू सुल्तान की जंग में ओवैसी की पार्टी AIMIM भी कूद गई। AIMIM के नेता शेख मुफ्ती इस्माइल ने इस मुद्दे पर कहा कि इतिहास बदला नहीं जा सकता है कि हिंदू विरोधी होने के बजाय टीपू सुल्तान देश भक्त थे। ये सच्चाई है उनकी, इसी शख्शियत को पेश किया जााए। वहीं सावरकर ने माफी मांगी ये भी सच्चाई है। अगर माफी ना मांगने के सबूत हैं तो बीजेपी जनता में जाए। वहीं इस मुद्दे को लेकर उद्धव की शिवसेना के लोग खुलकर बोलने से बचते नजर आ रहे हैं। शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंदे का कहना है कि शिवसेना का सावरकर प्रेम किसी को बताने की जरूरत नहीं है।
शिंदे गुट ने उद्वव ठाकरे पर कसा तंज
टीपू सुल्तान और वीर सावरकर के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना को घेरते हुए एकनाथ शिंदे गुट ने भी हमला बोला। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री गुलाबराव पाटिल ने कहा, "बालासाहेब के दिए आदेश पर एक जमाने मे मणिशंकर अय्यर को जूते मारे गए थे। अब उद्वव ठाकरे कांग्रेस-एनसीपी के दबाव में खुलकर बोल भी नहीं पाते। हमें भी बोलने नहीं दिया जाता, इसलिए हम अलग हुए लेकिन अब खुलकर बोल सकते हैं।