Maharashtra News: औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए बुधवार को बांबे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। औरंगाबाद के निवासी मोहम्मद मुश्ताक अहमद, अन्नासाहेब खंडारे और राजेश मोरे द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट 1 अगस्त को सुनवाई कर सकता है।
MVA सरकार ने लिया था फैसला
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार ने इस साल 29 जून को आखिरी कैबिनेट बैठक में शहर का नाम संभाजीनगर करने का फैसला किया था। वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली नई सरकार ने इस महीने की शुरुआत में एक नया प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मराठवाड़ा क्षेत्र के सबसे बड़े शहर का नाम छत्रपति संभाजीनगर रखे जाने को मंजूरी दी गई।
पिछली कैबिनेट बैठक में उठाया था मुद्दा
याचिका में दावा किया गया है कि 2001 में राज्य सरकार ने औरंगाबाद शहर का नाम बदलने का प्रयास किया था लेकिन इसे निरस्त कर दिया गया था। याचिका में दावा किया गया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने राजनीतिक कारणों से अपने अंतिम समय पर अनधिकृत रूप से औरंगाबाद का नाम बदलने का मुद्दा पिछली कैबिनेट बैठक में उठाया था।
याचिका में आगे कहा गया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने जनता की भावनाओं को ध्यान में रखे बिना और संविधान के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए इस फैसले को बरकरार रखा।
अबू आजमी ने जताई थी आपत्ति
बतातें चलें कि समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम क्रमश: संभाजीनगर और धाराशिव करने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ऐसे कदम संविधान के लिए चुनौती हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में आजमी ने कहा, ‘‘आपको सिर्फ बहुमत के बजाय संविधान पर ध्यान देना चाहिए। क्या कोई इस बात की गारंटी दे सकता है कि शहर का नाम बदलने से उसकी सारी समस्याएं सुलझ जाएंगी?’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर सिर्फ नाम बदलने से विकास हो रहा है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन (तत्कालीन महा विकास आघाड़ी) सरकार केवल मुस्लिम नाम बदलकर क्या संदेश दे रही है?’’