Maharashtra News: महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में ढाई लाख से अधिक ऑटो और टैक्सी चालकों ने 31 जुलाई की मध्यरात्रि से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि अपनी कई मांगें लंबित रहने के चलते ऑटो और टैक्सी चालकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।
महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में ठाणे, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जैसे जिले शामिल हैं। कोंकण विभाग रिक्शा-टैक्सी महासंघ के अध्यक्ष प्रणव पेनकर ने कहा, "राज्य सरकार ने लंबे समय से ऑटोरिक्शा और टैक्सी चालकों की लंबित मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है, इसलिए हमें अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का यह कठोर फैसला लेना पड़ा है।"
'प्रमुख मांगों में से एक किराए में बढ़ोतरी है'
उन्होंने कहा कि ऑटोरिक्शा और टैक्सी चालकों की प्रमुख मांगों में से एक किराए में बढ़ोतरी है। सीएनजी की कीमत बढ़ गई है, इसलिए यह जरूरी है। इसके अलावा राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में ऑटोरिक्शा को कई परमिट जारी किए हैं और इसे कम से कम 10 से 15 साल के लिए रोकना चाहिए, क्योंकि यह मौजूदा ऑपरेटरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
गौरतलब है कि पिछले महीनों में सीएनजी के साथ डीजल-पेट्रोल पर दाम बढ़े हैं। इससे ऑटो-टैक्सी चालकों को को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इनका कहना है कि तेल के दाम में इजाफा होने से किराए में बढ़ोतरी को लेकर कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए अब इन चालकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है।
कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए: सामंत
वहीं, बीते दिनों शिवसेना के बागी विधायक उदय सामंत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से तमिलनाडु की तर्ज पर राज्य में ऑटोरिक्शा और टैक्सी चालकों के कल्याण के लिए एक बोर्ड का गठन करने का आग्रह किया था। सामंत ने शिंदे को लिखे एक पत्र में कहा कि यदि सरकार ऐसा कदम उठाती है, तो इससे लाइसेंसशुदा 8.32 लाख ऑटोरिक्शा और 90,000 टैक्सी चालकों और इन वाहनों के मालिकों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु में ऑटोरिक्शा चालकों के लिए एक कल्याण योजना है और उन्हें तमिलनाडु मैनुअल वर्कर्स (रोजगार और काम की शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1982 के तहत लाया गया है। शिवसेना विधायक ने कहा, "ऑटो चालकों की सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिए एक बोर्ड गठित करने का प्रस्ताव 2013 से लंबित है। राज्य सरकार से अनुरोध है कि तमिलनाडु की तर्ज पर ऑटोरिक्शा और टैक्सी चालकों के लिए एक बोर्ड का गठन किया जाए।"