Maharashtra News: जिस शहर का नाम औरंगाबाद से बदल कर एकनाथ शिंदे सरकार ने संभाजीनगर किया था, अब गूगल मैप (Google Map) ने अपने प्लेटफॉर्म पर उसका नाम फिर से औरंगाबाद कर दिया है। दरअसल विवाद ये है कि जब सरकार ने नाम बदला था तो गूगल मैप ने भी अपने प्लेटफॉर्म पर औरंगाबाद को संभाजीनगर कर दिया था। हालांकि, लोगों ने इसका इतना विरोध किया कि गूगल मैप ने महज़ 24 घंटों में फिर से औरंगाबाद को संभाजीनगर कर दिया है।
एकनाथ शिंदे सरकार ने बदला था नाम
महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदल कर संभाजीनगर और धाराशिव किया था। इसके साथ ही नवी मुंबई एयरपोर्ट का नाम बदल कर भी उन्होंने डीबी पाटिल एयरपोर्ट कर दिया था। हालांकि, नाम बदलने का फैसला उद्धव ठाकरे की सरकार ने पहले ही ले लिया था, लेकिन एकनाथ शिंदे ने उसे गैर कानूनी करार देते हुए, इसे दोबारा कैबिनेट में पारित कराया था।
शिवसेना के लिए यह एक भावनात्मक मुद्दा
बता दें कि शिवसेना के लिए यह एक भावनात्मक मुद्दा है। औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखने की मांग शिवसेना लंबे समय से करती आ रही थी। उद्धव ठाकरे और शिवसेना के नेता औरंगाबाद को संभाजी नगर कहकर ही संबोधित किया करते थे। वहीं, उस्मानाबाद का नाम भी धाराशिव की मांग शिवसेना की थी। हालांकि, कांग्रेस और NCP के साथ गठबंधन में महाविकास आघाड़ी (MVA) सरकार बनाने के बाद शिवसेना की इन दोनों बातों को कांग्रेस का समर्थन नहीं मिल रहा था। कांग्रेस अक्सर औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने पर आपत्ति जताती रहती थी।
कौन थे संभाजी
संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को पुणे से 50 किलोमीटर दूर पुरंदर किले में हुआ था। संभाजी महाराज का बचपन दादी की गोद में बीता, पिता शिवाजी हमेशा देशसेवा और युद्ध में व्यस्त रहते थे। महज साढ़े आठ साल में संभाजी महाराज 14 भाषाओं के ज्ञाता बन चुके थे। कहा जाता है कि वो न्यायप्रिय थे। पिता जी की अनुपस्थिति में संभाजी महाराज नियमित तौर पर जनता दरबार और न्याय दरबार संभाला करते थे। जहां वो जनता की परेशानियां सुनते औऱ उन्हें न्याय मिले, इसका प्रबंध करते। 14 साल तक संभाजी महाराज युद्ध, शासन और अर्थशास्त्र में पूरी तरह पारंगत हो चुके थे। जनता उन्हें बहुत चाहती थी औऱ उनके फैसलों का सम्मान करती थी। इतनी छोटी सी उम्र में ही संभाजी महाराज ने तीन ग्रंथ लिखे थे। इन तीन ग्रंथों का नाम है, नखशिखांत, नायकिभेद औऱ सात शातक। सात शातक आज भी काफी प्रसिद्ध हैं।
1681 में संभाजी महाराज को विधिवत छत्रपति का ओहदा प्रदान किया गया। कहा जाता है कि महज 31 साल की उम्र तक बेहद शक्तिशाली, बुद्धिमान औऱ स्वाभिमान संभाजी महाराज ने 128 युद्ध जीत लिए थे। कहा जाता है कि संभाजी महाराज धर्म औऱ न्याय के प्रणेता थे और उन्होंने हमेशा मराठा हितों के लिए काम किया। मराठा इतिहास में संभाजी महाराज का नाम हमेशा सम्मान से लिया जाता रहेगा। ऐसे वीर योद्धा को इंडिया टीवी का शत शत नमन।