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Hindi News महाराष्ट्र सीएम आवास में खाने-पीने पर खर्च हुए करोड़ों, विपक्ष का कटाक्ष- क्या खाते हैं एकनाथ शिंदे

सीएम आवास में खाने-पीने पर खर्च हुए करोड़ों, विपक्ष का कटाक्ष- क्या खाते हैं एकनाथ शिंदे

सीएम एकनाथ शिंदे के शासन काल में मुख्यमंत्री निवास पर पिछले 4 महीने में 2 करोड़ 38 लाख रुपये के खाने-पीने का खर्चा हुआ है। वहीं 91 हजार से अधिक का खर्च केवल चाय पर हुआ है। बता दें कि आरटीआई के हवाले से यह जानकारी सामने आई है।

Maharashtra News Crores spent on food and drink in CM eknath shinde residence opposition sarcasm wha- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO सीएम आवास में खाने-पीने पर खर्च हुए करोड़ों

महाराष्ट्र में सियासत की लड़ाई अब खाने के बिल पर आ पहुंची है। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच जारी राजनीतिक लड़ाई पर अब बहस का केंद्र बन गया है मुख्यमंत्री निवास में हर महीने होने वाले खाने के खर्चे का बिल। दरअसल सीएम एकनाथ शिंदे के शासन काल में मुख्यमंत्री निवास पर पिछले 4 महीने में 2 करोड़ 38 लाख रुपये के खाने-पीने का खर्चा हुआ है। वहीं 91 हजार से अधिक का खर्च केवल चाय पर हुआ है। बता दें कि आरटीआई के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। इस मामले के बाहर आन के बाद उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे को निशाने पर लिया है। 

आरटीआई से मिला जवाब

दरअसल बारामती के रहने वाले नितिन यादव द्वारा एक आरटीआई दायर किया गया था। इस आरटीआई के माध्यम से वर्षा बंगले पर होने वाली खर्चों की जानकारी मांगी गई थी। जिसके जवाब में बताया गया कि 4 महीने के खाने का बिल 2 करोड़ 38 लाख रुपये है। वहीं चाय का खर्च 91,500 रुपये खर्च आया है। नितिन यादव द्वारा इस बाबत आश्चर्य जताते हुए यह सवाल किया गया है कि आखिर वर्षा बंगले में ऐसी कौन सी चीज खाई-पी जाती है जो इतनी फिजूलखर्ची हो रही है।

क्या बोले एकनाथ शिंदे

इस ममले के सामने आने के बाद अजित पवार ने सीधे तौर पर एकनाथ शिंदे पर हमला करते हुए कहा है कि समझ नही आता है, पता नहीं क्या ये खाते पीते हैं। ये लोग सोने का कुछ खाते पीते हैं क्या। इस बाबत एकनाथ शिंदे ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो आरोप लगाए गए हैं कि वर्षा बंगले में खाने पीने पर करोड़ों खर्च हुए हैं तो बता दें कि हजारों लोग प्रतिदिन मिलने आते है। इसलिए ये खर्चा हुआ है। आपके समय यह खर्चा तब होता जब वर्षा के दरवाजे खुले होते। आपके कार्यकाल में दो साल तो वर्षा के दरवाजे बंद थे। हमारे कार्यकाल में वर्षा बंगले में हजारों लोग आते हैं तो क्या उन्हें चाय पानी नहीं पूछेंगे।

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