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Maharashtra News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने नए आवेदन पर BMC और नारायण राणे से मांगा जवाब

Maharashtra News: हाईकोर्ट ने पूछा कि एक बार खारिज किए गए आवेदन को नगर निगम द्वारा कैसे मंजूरी दी जा सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘हमें दिखाएं कि यह दूसरा आवेदन विचार योग्य है।’’

Bombay High Court- India TV Hindi Image Source : PTI Bombay High Court

Highlights

  • कालका रियल एस्टेट और BMC के मामले में 25 जुलाई को होगी सुनवाई
  • "BMC ने राजनीतिक बदले की भावना से नियमितीकरण के आवेदन को किया खारिज"
  • हाईकोर्ट ने राणे को राहत देने से किया था इनकार

Maharashtra News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से जुड़ी एक रियल एस्टेट कंपनी से कहा कि वह अदालत को यह विश्वास दिलाएं कि उनके बंगले के अवैध हिस्से को नियमित करने के लिए दूसरा आवेदन विचारयोग्य है। जस्टिस आर.डी.धानुका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कालका रियल एस्टेट और बीएमसी के वकीलों से मामले में सुनवाई की अगली तारीख 25 जुलाई को जवाब देने के लिए कहा है।

राणे की एक अर्जी पहले हो चुकी है खारिज

बता दें कि 22 जून को जस्टिस धानुका के नेतृत्व वाली एक अन्य पीठ ने राणे द्वारा दायर एक अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें बीएमसी के जुहू निवास के 8 मंजिलां के हिस्से को नियमित करने से इनकार को चुनौती दी गई। राणे ने दावा किया था कि शिवसेना के नियंत्रण वाली बीएमसी ने राजनीतिक बदले की भावना से इमारत के नियमितीकरण के आवेदन को खारिज कर दिया था। बीएमसी ने दलील दी थी कि मंत्री ने मंजूरी योजनाओं की धज्जियां उड़ाईं और बंगले के लिए फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) का दुरुपयोग किया।
हाईकोर्ट ने राणे को यह कहते हुए राहत देने से इनकार कर दिया था कि पहली बात तो निर्माण अवैध था, फिर राजनीतिक प्रतिशोध का सवाल ही नहीं उठता। 

नया आवेदन किया दायर

मंगलवार को, कालका रियल एस्टेट के वकील शार्दुल सिंह ने हाईकोर्ट को बताया कि उन्होंने एक नया आवेदन दायर किया, हालांकि पिछले आवेदन को बीएमसी ने खारिज कर दिया था और अस्वीकृति को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। सिंह ने दलील दी कि राणे अब मांग कर रहे हैं कि उनके बंगले के एक छोटे हिस्से को नियमित किया जाए और उनकी अर्जी इस तरह की राहत के लिए राज्य की 2024 की विकास योजना के प्रावधानों का सहारा ले रही है।

"आदेश के बिना दूसरे आवेदन पर विचार नहीं कर सकती BMC"

सिंह ने पीठ से कहा, ‘‘BMC ने कहा है कि वह हाईकोर्ट के आदेश के बिना दूसरे आवेदन पर विचार नहीं कर सकती।’’ उन्होंने हाईकोर्ट से बीएमसी को कानून के अनुसार नए आवेदन पर विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया। बीएमसी के वरिष्ठ वकील अनिल साखरे ने पीठ को बताया कि नगर निगम ने अभी आवेदन पर विचार नहीं किया और वह इस पर गौर करेगा। इस पर, हाईकोर्ट ने पूछा कि एक बार खारिज किए गए आवेदन को नगर निगम द्वारा कैसे मंजूरी दी जा सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘हमें दिखाएं कि यह दूसरा आवेदन विचार योग्य है।’’