Maharashtra News: बालासाहेब ठाकरे के बेहद करीबी रहे उनके निजी सहायक चंपा सिंह थापा ने एकनाथ शिन्दे का हाथ थाम लिया है। चंपा सिंह थापा 1970 के दशक से बालासाहेब के साथ रहे थे। मातोश्री में बाल ठाकरे के निजी सहयोगी के रूप में साथ रहने वाले चंपा सिंह थापा उनके निधन के बाद से 2012 के बाद से मातोश्री से दूर होते चले गए और आज एकनाथ शिन्दे गुट का साथ पकड़ लिया। बाला साहेब ठाकरे की परछाई माने जाने वाले चंपा सिंह थापा भी एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं।
उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका
थापा पिछले 35 सालों से ज्यादा समय से बाला साहेब ठाकरे के केयर टेकर थे। उनके आखिरी दिनों तक थापा ने बाला साहेब की काफी सेवा की। वो बाला साहेब के साथ हर जगह, हर पल दिखाई देते थे। थापा का शिंदे गुट में शामिल होना उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है। शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे का सबसे विश्वासपात्र सहकारी चम्पा सिंह उर्फ़ थापा ने भी आज शिंदे गट का हाथ थाम लिया जो एक तरह से उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
बाला साहेब के थे सबसे विश्वासपात्र
चंपा सिंह थापा उर्फ़ थापा को शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे का सबसे विश्वासपात्र सहकारी माना जाता था। बाला साहेब हमेशा पानी हो या खाना वही खाते थे जो थापा अपने हाथ से उन्हें देते थे लेकिन शिवसेना में विखराव के बाद चम्पा सिंह थापा उर्फ़ थापा ने अब एकनाथ शिंदे के गट का हाथ थाम लिया है ठाणे में नवरात्रि के कार्यक्रम के दौरान चम्पा सिंह थापा उर्फ़ थापा ने एक नाथ शिंदे गुट में प्रवेश किया।
मुख्यमंत्री शिंदे ने गुट में स्वागत किया
बता दें कि थापा शिवसेना के संस्थापक के विश्वस्त थे और उन्होंने ठाकरे की 27 साल तक नवंबर 2012 में उनके निधन से पहले तक सेवा की। राजे ‘मातोश्री’ में बाल ठाकरे के लिए फोन उठाते थे। उन्होंने बांद्रा स्थित उनके आवास में कम से कम 35 साल गुजारे हैं। मुख्यमंत्री शिंदे ने अपने अगुवाई वाले गुट में थापा और राजे का शॉल ओढ़ा कर स्वागत किया। उन्होंने कहा, “नवरात्र के इस पावन अवसर पर सभी इस बात से खुश हैं कि त्योहारों पर लगे (महामारी संबंधी) प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। बहुत उत्साह है।" शिंदे ने कहा कि थापा और राजे बाल ठाकरे की छाया की तरह थे और दोनों के उनके गुट में शामिल होने से उत्सव का सुखद वातावरण और बढ़ गया है।
शिंदे ने दोहराई "असली" शिवसेना की बात
शिंदे ने कहा कि दोनों ने उनके गुट में शामिल होने का फैसला किया क्योंकि वह "असली" शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं और शिवसेना संस्थापक और हिंदुत्व की शिक्षाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा, “ बालासाहेब साफ बातें करते थे। लोग बालासाहेब को अच्छी तरह से जानते थे और इसलिए उन्होंने (राजे और थापा) महा विकास आघाड़ी के तहत कांग्रेस और राकांपा के साथ शिवसेना के गठबंधन को स्वीकार नहीं किया। “इस मौके पर पालघर जिला परिषद के अध्यक्ष वैदेही वडन और स्थानीय निकाय के कुछ सदस्य भी शिंदे गुट में शामिल हुए।