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महाराष्ट्र की राजनीति में फिर बढ़ी हलचल, सीएम शिंदे और विधायकों की अयोग्यता वाली सुनवाई अहम मोड़ पर पहुंची

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों की अयोग्यता को लेकर आज सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सदन के केंद्रीय कक्ष में सुनवाई की। विधानसभा अध्यक्ष के सामने कुल 34 याचिकाएं लंबित हैं।

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मुंबई: महाराष्ट्र में पिछले एक साल से राजनीतिक हलचल मची हुई है। एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से सरकार बना ली। इस साल एनसीपी के कई नेता अजित पवार के साथ सरकार में शामिल हो जाते हैं। शिवसेना वाला प्रकरण सुप्रीम कोर्ट गया। इसके अलावा शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता को लेकर सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर कर रहे हैं। आज इसी मामले को लेकर विधानसभा के केंद्रीय कक्ष में सुनवाई हुई। इसमें शिंदे गुट के 40 और ठाकरे गुट के 13 विधायकों को शामिल होने के लिए नोटिस भेजा गया था। इसमें ज्यादातर विधायकों ने खुद ना जाकर अपने विधायकों को भेजा था।

विधानसभा अध्यक्ष के सामने लगीं कुल 34 याचिकाएं 

इस मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के सामने कुल 34 याचिकाएं लगी हुई हैं। उद्धव ठाकरे गुट ने सभी याचिकाओं को क्लब कर एकसाथ सुनवाई करने की मांग की है। ठाकरे गुट की तरफ से कहा गया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं है। वहीं शिंदे गुट ने सभी याचिकाओं को क्लब करने की मांग का विरोध किया है। शिंदे गुट का कहना है की हर केस को अलग-अलग सुनना चाहिए। हमारे विधायक अपना पक्ष रखना चाहतें है। वहीं इसे लेकर अध्यक्ष ने अपने फैसला सुरक्षित रखा है। विधानसभा अध्यक्ष का कहना है कि सुनवाई के कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।

सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने विधानसभा अधक्ष के सामने कई दलीलें रखी हैं। ठाकरे गुट ने दलील दी है कि विधानसभा में एकनाथ शिंदे का बतौर ग्रुप लीडर का चुनाव गैरकानूनी है। अगर ग्रुप लीडर का चुनाव ही असंविधानिक तरीके से हुआ है तो शिंदे गुट वैध कैसे हो सकता है। वहीं शिंदे गुट के भरत गोगावले की चीफ व्हीप बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट पहले ही गलत बता चुका है। ठाकरे गुट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो ऑब्जर्वेशन दिया है उसी आधार पर विधानसभा अध्यक्ष फैसला लें।  

  एकनाथ शिंदे सहित कुल 40 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए- ठाकरे गुट 

उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से कहा गया है कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है इसलिए चुनाव आयोग ने जो फैसला दिया है उसे कंसीडर ना किया जाए। अयोग्यता की याचिका सुप्रीम कोर्ट में जाने के पहले ही विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल ने डिस्कॉलिफिकेशन नोटिस जारी कर दिया था। इसके साथ ही विधानसभा में ग्रुप लीडर और व्हीप हमारा है, इसलिए हमें ही विधिमंडल दल समझा जाए। इसके साथ ही कहा गया है कि पार्टी के व्हीप का उल्लंघन किया गया है, इसलिए एकनाथ शिंदे सहित कुल 40 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए। 

हमने एकमत से बीजेपी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया- शिंदे गुट 

वहीं एकनाथ शिंदे के गुट की तरफ से भी कई दलीलें दी गई हैं। शिंदे गुट की तरफ से कहा गया है कि एकनाथ शिंदे ही विधानसभा में शिवसेना के ग्रुप लीडर हैं। बहुमत के आधार पर ही एकनाथ शिंदे को ग्रुप लीडर के तौर पर चुना गया। इसके साथ ही शिवसेना के प्रतिनिधी सभा में एकनाथ शिंदे को पार्टी के मुख्यनेता के तौर चुना गया और विधानसभा में विधायकों का आंकड़ा हमारे पक्ष में है। इसके अलावा कहा गया है कि एकनाथ शिंदे ही शिवसेना के मुख्य नेता हैं और पूरी पार्टी हमारे साथ है। शिंदे गुट की तरफ से कहा गया है कि शिवसेना के तत्कालीन पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ही विधायकों की बात नहीं सुनते थे और पार्टी की विचारधारा के खिलाफ कार्य हो रहा था। इसके साथ ही कहा गया है कि हम एंटी पार्टी एक्टीविटी में शामिल नहीं थे और हमने एकमत से बीजेपी के साथ गठबंधन करने का फैसला किया है।