Maharashtra: स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकारें बड़े-बड़े दावे करती रहती हैं। लेकिन इन दावों की सच्चाई अक्सर हमारे सामने आती रहती है। बता दें कि महाराष्ट्र में एक बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। यवतमाल जिले में एक महिला ने एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में चिकित्सा कर्मियों के मौजूद न होने के कारण उसके बाहर ही बच्चे को जन्म दे दिया और जन्म के तुरंत बाद नवजात की मौत हो गयी।
परिजनों ने चिकित्सा कर्मियों के मौजूद न होने का आरोप
महिला के परिवार ने यह आरोप लगाया है कि चिकित्सा कर्मी पीएचसी में मौजूद नहीं थे। बहरहाल, एक स्वास्थ्य अधिकारी ने दावा किया कि महिला को देर से पीएचसी लाया गया था। यह घटना शुक्रवार को उमरखेड़ तहसील के विदुल में हुई। महिला के पिता ने पत्रकारों को बताया कि वह उसे एक ऑटो रिक्शा से पीएचसी लेकर आये क्योंकि जब उसे प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो वह उसके लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं करा पाये।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने आरोपों का किया खंडन
उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे पीएचसी पहुंचे तो वहां न कोई डॉक्टर था और न ही कोई अन्य चिकित्सा कर्मी था। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने पीएचसी के बाहर बरामदे में ही बच्चे को जन्म दे दिया और कुछ वक्त बाद ही नवजात की मौत हो गयी। जिला स्वास्थ्य अधिकारी प्रह्लाद चव्हाण ने हालांकि, दावा किया कि पीएचसी में एक चिकित्सा अधिकारी और नर्स मौजूद थीं लेकिन महिला को देर से वहां लाया गया। उन्होंने कहा कि वह शनिवार को पीएचसी का दौरा करेंगे और मामले की पड़ताल करेंगे।
पहले भी सामने आईं हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई नई घटना नहीं है बीते साल महाराष्ट्र से पैदल चलकर आ रही मध्यप्रदेश की एक महिला ने रास्ते में बच्चे को जन्म दिया था। लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र के नासिक से सतना के अपने गांव वापस जा रही एक गर्भवती महिला ने रास्ते में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला के पति ने कहा कि जन्म देने के बाद हमने दो घंटे आराम किया फिर हम कम से कम 150 किलोमीटर तक पैदल चले थे।
नासिक से महिला अपने परिवार के साथ अपने गांव उचेहरा के लिए निकल पड़ी। लेकिन नासिक के आगे पीपरगांव में महिला का प्रसव हो गया। लेकिन रास्ते में इस दौरान महिला और उसके परिवार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी। गांव की ही कुछ महिलाएं रास्ते में कदम-कदम पर महिला का हौसला बढ़ाती रहीं और प्रसव के दो घंटे बाद महिला फिर चल पड़ी।