मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने बृहस्पतिवार को अपने नए परिपत्र में कहा कि यूरोप, दक्षिण अफ्रीका और पश्चिम एशिया से आने वाले ऐसे यात्रियों की तत्काल कोरोना वायरस की आरटी-पीसीआर जांच नहीं कराई जाएगी, जिनमें कोरोना वायरस के लक्षण नहीं होंगे। यह परिपत्र उक्त क्षेत्रों से आने वाले यात्रियों के संबंध में 21 दिसंबर को जारी मानक संचालन प्रोटोकॉल (एसओपी) को संशोधित करता है।
यह एसओपी ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया प्रकार सामने आने के बाद जारी की गई थी। यूरोप, दक्षिण अफ्रीका और पश्चिम एशिया से आने वाले (कोरोना वायरस के) बिना लक्षण वाले यात्रियों के लिए सात दिन तक संस्थागत पृथक-वास में रहना अनिवार्य है जबकि बीमारी के लक्षण वाले मुसाफिरों को तत्काल अस्पतालों में भर्ती कराया जाएगा।
परिपत्र कहता है कि बिना लक्षण वाले मुसाफिरों के आगमन पर आरटी-पीसीआर जांच नहीं होगी। उसमें कहा गया है कि यह जांच पांच से सात दिन के बीच उस होटल में होगी जहां वे पृथक-वास में रह रहे होंगे।
यात्री को ही जांच का खर्च उठाना होगा। अगर जांच रिपोर्ट में संक्रमित होने की पुष्टि नहीं होती है तो यात्री को संस्थागत पृथक-वास से छुट्टी दे दी जाएगी लेकिन उन्हें अगले सात और दिनों तक घर में पृथक-वास में रहना होगा।
परिपत्र में कहा गया है कि अगर जांच में संक्रमित होने की पुष्टि होती है और मरीज़ में बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं तो उन्हें होटल या कोविड-19 अस्पताल में 14 दिनों तक पृथक-वास में रहना होगा।