Maharashtra Crisis: महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। 38 बागी विधायकों ने उद्धव सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इंडिया टीवी रिपोर्टर राजेश, जयप्रकाश और सचिन चौधरी के मुताबिक, इस बात का जिक्र 38 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में किया है। इस याचिका में बागी विधायकों ने MVA से समर्थन वापस लेने का जिक्र किया है। शिवसेना के शिंदे ग्रुप ने अपने 38 विधायकों के सपोर्ट को वापस लेने का जिक्र करते हुए याचिका में कहा है कि इस समय MVA सरकार अल्पमत में है और अधिकारों का दुरुपयोग हो रहा है। हालांकि अभी तक विधानसभा उपाध्यक्ष या राज्यपाल के पास सरकार से समर्थन वापस लेने का पत्र शिंदे ग्रुप ने नहीं दिया है।
इसमें ये भी लिखा गया है कि शिवसेना के 38 विधायकों ने अपना समर्थन एमवीए सरकार से वापस ले लिया है लेकिन ये सरकार अपने पदों और पावर का मिसयूज कर रही है। डिप्टी स्पीकर के पद को को एमवीए सरकार द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। डिप्टी स्पीकर अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।
शिवसेना के 8 मंत्री बागी गुट में पहुंचे
महाराष्ट्र का सियासी संकट जब शुरू हुआ था, तब किसी ने ये नहीं सोचा था कि उद्धव ठाकरे, शिवसेना और उनकी सरकार की यह हालत हो जाएगी। अब जबकि शिवसेना के 8 मंत्री बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के कैंप में पहुंच चुके हैं। उद्धव ठाकरे अकेले पड़ गए हैं। अब सिर्फ तीन ही मंत्री उद्धव की शिवसेना में बचे हुए हैं। इनमें उनके बेटे आदित्य ठाकरे ही एकमात्र ऐसे मंत्री बचे हैं, जो विधायक हैं। बाकी बचे मंत्री विधान परिषद में चुने हुए हैं। इस तरह इस सियासी लड़ाई में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं।
सिर्फ 3 मिनिस्टर उद्धव के साथ
इस संकट की शुरुआत से ही लगभग हर दिन सूरत के रास्ते से शिवसेना का कोई न कोई विधायक या मंत्री गुवाहाटी पहुंच रहा है, जहां के एक होटल में एकनाथ शिंदे और उनके साथ बागी विधायकों के गुट रुका हुआ है। एक एक करके विधायक हों या मंत्री, सभी बागी शिंदे गुट का दामन थाम रहे हैं। अब उद्धव के खेमे में शिवसेना के 3 मंत्री आदित्य ठाकरे, अनिल परब और सुभाष देसाई ही बचे हैं। देसाई और परब विधान परिषद के सदस्य हैं, जबकि एक अन्य कैबिनेट मंत्री शंकरराव गडख क्रांतिकारी शेतकारी पक्ष पार्टी से हैं।