बारामती में चाचा अजित के सामने भतीजे युगेंद्र ठोकेंगे दावेदारी? विधानसभा चुनाव में बदला ले सकते हैं शरद पवार
बारामती में लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव भी और रोचक होता जा रहा है। ननद-भाभी के बाद अब बारी है चाचा और भतीजे की। राजनीति के माहिर समझे जाने वाले नेताओं को नई पीढ़ी से चुनौती देने की तैयारी शरद पवार करते नजर आ रहे हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति की बात चले और जिक्र बारामती का ना हो ऐसा कभी हुआ नहीं और अब तो हालात ये है कि चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का पवार vs पवार की लड़ाई पूरे चुनाव में छाई रहती है। चुनाव प्रचार के मुद्दों से लेकर नतीजों तक, सभी की निगाहें सिर्फ इसी एक चुनाव क्षेत्र पर टिकी रहती है। लोकसभा चुनाव में ननद-भाभी यानी सुप्रिया सुले बनाम सुनेत्रा पवार की लड़ाई सबने देखी और नतीजा भी। अब बारी है चाचा अजित पवार और भतीजे युगेन्द्र पवार की।
अजित से शरद पवार लेंगे बेटी के चुनाव का बदला?
राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि युगेन्द्र पवार अपने ही सगे चाचा अजित पवार के खिलाफ बारामती विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने सीधे शरद पवार के सामने युगेन्द्र पवार को विधानसभा का टिकट देने की मांग की है। शरद पवार भी युगेन्द्र को साथ लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं से बातचीत करते नजर आने लगे हैं। माना जा रहा है कि शरद पवार युगेन्द्र के लिए बारामती की राजनीतिक जमीन तयार कर रहे हैं। शरद पवार की इस रणनीति का निशाना सीधे अजित पवार और उनके साथी होंगे। युगेन्द्र के चुनाव लड़ने का सीधा असर अजित पवार के अपने चुनाव प्रचार पर भी पड़ेगा। बारामती से बाहर अन्य विधानसभा क्षेत्र में प्रभावी चुनाव प्रचार करना अजित पवार के लिए मुश्किल हो सकता है।
महाराष्ट्र में फिर होगा खेल!
युगेन्द्र पवार भी अगर वही सवाल खड़े करे जो अजित पवार ने शरद पवार के लिए किए थे तब अजित पवार भी ट्रैप में आ जाएंगे जिसका नुकसान न सिर्फ अजित पवार की पार्टी को बल्कि उनको व्यक्तिगत रूप से भी हो सकता है। अजित पवार ने पार्टी में दो गुट करने के बाद कई सवाल शरद पवार से किए थे उसमें एक अहम सवाल था कि चाचा शरद पवार पार्टी की कमान अजित पवार के हाथ में क्यों नहीं देते, उनपर विश्वास क्यों नहीं करते।
33 साल से अजित पवार हैं विधायक
अजित पवार 33 साल से यानी 1991 से बारामती के विधानसभा क्षेत्र से लगातार जीत रहे हैं। सरकार में रहते हुए अहम मंत्री पद उन्हें शरद पवार ने दिए। अब सवाल यह भी उठता है कि क्या अजित पवार अपने ही सगे भतीजे युगेन्द्र के लिए बारामती की सीट छोड़ेंगे।
लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले के लिए प्रचार कर रहे थे युगेंद्र
लोकसभा चुनाव में पूरा पवार परिवार शरद पवार और सुप्रिया सुले के साथ खड़ा था और अजित पवार अकेले थे। अजित पवार के सगे छोटे भाई श्रीनिवास पवार उनके साथ नहीं थे। युगेन्द्र पवार जो कि श्रीनिवास पवार के बेटे हैं, वह लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले का प्रचार कर रहे थे। अब अगर युगेन्द्र को शरद पवार बारामती का चुनाव लड़ाते हैं तो अजित पवार के लिए भी विधानसभा का चुनाव भावनात्मक और नैतिक रूप से कई सवाल खड़े करने वाला होगा।
पार्टी कार्यकर्ता बोले- हमें शांत दादा चाहिए
यहां उल्लेखनीय है कि युगेन्द्र पवार के चुनाव लड़ने की मांग स्थानीय पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक कर रहे हैं जिसे शरद पवार ने साफ तौर पर फिलहाल नकारा है। लेकिन स्थानीय कार्यकर्ता कहते हैं कि युगेन्द्र पवार लगातार लोगों से मिलते हैं, वह जमीन से जुड़े हुए नेता है और कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर उन्होंने समस्या का समाधान ढूंढा है। साथ ही अजित पवार के खिलाफ खड़े रहने के लिए अगर कोई नेता हैं तो वह युगेन्द्र पवार है। उनका कहना है कि अब हमें शांत दादा चाहिए।
युगेन्द्र पवार पर कौन क्या बोल रहा?
युगेन्द्र पवार के अजित पवार के सामने चुनाव लड़ने की अटकलों पर नेता संभलकर अपनी राय रख रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने इस पर कहा, ''पवार फैमिली के बारे में हम कोई प्रतिक्रिया नही देते ये उनका पारिवारिक मसला है।'' वहीं, एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने कहा, ''बारामती उनका घर है। अपने घर में क्या करना चाहिए वो ज्यादा जानते हैं। पवार साहब तय करेंगे कि किसको प्रिंसिपल रखना है और किसे स्टूडेंट क्योंकि स्कूल उनकी हैं।'' एनसीपी महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा, ''अजित पवार के खिलाफ चाहे जितनी स्ट्रेटजी होने दो बारामती से अजित पवार ही विधानसभा का चुनाव जीतेंगे और एक लाख के बहुमत से जीतेंगे।''
बता दें कि विधानसभा चुनाव को होने में अभी 3 महीने का वक्त है लेकिन उसकी जमीन अभी से तैयार होने लगी है। राजनीति के माहिर समझे जाने वाले नेताओं को नई पीढ़ी से चुनौती देने की तैयारी शरद पवार करते नजर आ रहे हैं।
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