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Hindi News महाराष्ट्र Vasai Assembly Election 2024: वसई से हितेंद्र ठाकुर की जीत पक्की? जानिए इस सीट का सियासी समीकरण

Vasai Assembly Election 2024: वसई से हितेंद्र ठाकुर की जीत पक्की? जानिए इस सीट का सियासी समीकरण

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से एक अहम सीट पालघर जिले की वसई भी है। यहां अब तक 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें से चार बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली है।

वसई विधानसभा चुनाव 2024- India TV Hindi वसई विधानसभा चुनाव 2024

Maharashtra Assembly Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक है। इलेक्शन कमीशन की ओर से चुनाव की तारीख के ऐलान के साथ ही पक्ष और विपक्ष की गठबंधन पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे पर उलझी गुत्थी सुलझाने की कोशिश जारी है। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से एक अहम सीट पालघर जिले की वसई सीट भी है। इस सीट पर पार्टियों से ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी का दबदबा रहा है। यहां अब तक 10 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें से चार बार निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली है, जबकि पिछले दो बार से यहां बहुजन विकास अघाड़ी ने जीत दर्ज की है।

सीट पर हितेंद्र ठाकुर का दबदबा

वसई विधानसभा सीट पर 1990 से लेकर अब तक केवल 2009 का चुनाव छोड़ दिया जाए, तो यहां से हितेंद्र ठाकुर का एक छत्र राज रहा है। चाहे उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर मोर्च संभाला हो या फिर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हों। 2009 में यहां से बहुजन विकास अघाड़ी के टिकट पर नारायण मनकर ने चुनाव लड़ा था। कहा जाता है कि अगर हितेंद्र ठाकुर मैदान में होते तो 2009 में भी जीत दर्ज करते। इस बार भी वसई से हितेंद्र ठाकुर की जीत पक्की मानी जा रही है।

क्या रहा है चुनावी इतिहास?

वसई के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो यहां से दो बार जनता पार्टी तो दो बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा चार बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी है। पिछले दो बार से यहां बहुजन विकास अघाड़ी के संस्थापक हितेंद्र ठाकुर जीत दर्ज करते आ रहे हैं। इससे पहले हितेंद्र ठाकुर ने 1990 में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी, जबकि, 1995, 1999 और 2004 में उन्होंने यहां निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी।

क्या है सीट के जातीय आंकड़े?

2019 के आंकड़ों के मुताबिक, अनारक्षित श्रेणी में आनी वाली वसई सीट पर कुल 2 लाख 84 वोटर्स में से 38 हजार 500 के करीब क्रिश्चियन मतदाता हैं। इसके अलावा 24 हजार के आस-पास मुस्लिम मतदाता भी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं। दलित वोटर्स की संख्या करीब तीन फीसदी है, जबकि आदिवासी वोटर्स 10 प्रतिशत के आस-पास हैं।