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महाराष्ट्र में 3 हजार करोड़ का घोटाला, फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए बेचा फ्लैट, मास्टरमाइंड निकला 10वीं पास

मुंबई से सटे विरार में 3 हजार करोड़ का घोटाला सामने आया है। 10वीं पास एक शख्स ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए कई इमारतों का निर्माण किया। इसके बाद 3 हजार से अधिक लोगों को आरोपी ने फ्लैट बेच दिया।

Maharashtra 3 thousand crore scam flat sold through fake documents- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO 3 हजार करोड़ का फ्लैट घोटाला

मुंबई से सटे विरार में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां पुलिस ने 5 ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार किया है जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए वसई विरार इलाके में कई इमारतें बनाई और हजारों लोगों को उसे बेच दिया। इन इमारतों में बने फ्लैट्स की कीमत 15-20 लाख रुपये हैं। विरार पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि इस तरह की 55 से अधिक इमारतें हैं जिन्हें रेरा (Real Estate Regulatory Authority) की तरफ से क्लीयरेंस भी दिया गया है। गिरफ्तार किए गए 5 लोगों में रियल एस्टेट डेवलपर, एजेंट, होम लोन प्रोवाइडर, रबर स्टैम्प बनाने वाले भी शामिल हैं। पुलिस को शक है कि ये आरोपी साल 2015 से ही इस धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे हैं। 

फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए घोटाला

जानकारी के मुताबिक इन इमारतों के फ्लैट्स में रहने वाले परिवारों की संख्या लगभग 3500 है। ये सभी लोग निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं जिन्होंने अपने जीवन की पूरी कमाई घर लेने में लगा दी है। विरार पुलिस के वरिष्ठ निरीक्षक राजेंद्र कांबले ने बताया कि इमारतों का निर्माण नकली स्टैम्प के साथ फर्जी डॉक्यूमेंट्स जमा करके RERA की अनुमति लेने के बाद किया गया था। आरोपियों के पास से कलेक्टरों, वसई-विरार नगर निगम, टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट, उप-रजिस्ट्रार, एमएमआरडीए के आर्किटेक्ट और इंजीनियरों समेत कुल 155 नकली रबर स्टैम्प बरामद किए गए हैं। साथ ही पुलिस ने फर्जी लेटरहेड को भी जब्त किया है।

 कैसे किया फर्जीवाड़ा

पुलिस की जांच में अबतक पता चला है कि आरोपी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर आदिवासियों की खेती वाली जमीन को नॉन एग्रीकल्चर लैंड में बदल देते थे। इसके बाद रेरा में फर्जी डॉक्यूमेंट्स जमा कर मंजूरी ले लेते थे। एक अधिकारी ने बताया की RERA द्वारा क्लीयरेंस मिलने के कारण बड़े-बड़े बैंक इन घरों के लिए आराम से होम लोन दे देते थे। पुलिस के मुताबिक यह घोटाला लगभग 3 हजार करोड़ का हो सकता है। चौंकाने वाले बात यह है कि इस घोटाले में 3500 परिवार फंस चुके हैं। इस धांधली के बारे में अबतक किसी एजेंसी को कोई जानकारी नहीं है। बता दें कि धांधली के इन इमारतों में खरीददारों को पीएमओ से 2.5 लाख रुपये की सब्सिडी भी मिली है। 

कौन है मास्टर माइंड?

इस मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी प्रशांत पाटिल को मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। प्रशांत सिंधुदुर्ग जिले के एक किसान का बेटा है, जिसने दसवीं तक की पढ़ाई की है। साल 2010 में नौकरी की तलाश में वह विरार आया था। यहां उसे पता चला कि रियल एस्टेट में बड़ा स्कोप है। इसके बाद प्रशांत ने कोपरी गांव में अपना ऑफिस खोला। पाटिल जब 20 साल का था तब उसे अपना पहला ग्राहक मिला, जिसकी मदद से उसे रियल एस्टेट क्षेत्र में कामयाबी मिली। इसके लिए उसने कई फर्जीवाड़े किए। उसके बाद ही पाटिल फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर लोगों को साथ जोड़कर इमारत बनावता और फिर उन्हें बेच देता। जानकारी के मुताबिक पाटिल ने करीब 3000 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।