BJP ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से नारायण राणे को बनाया उम्मीदवार, शिंदे गुट के साथ बन गई बात
शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) इसी आधार पर रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट पर अपना दावा जता रहा था, लेकिन गठबंधन में यह सीट फाइनली भाजपा के खाते में आई और पार्टी ने आज यहां से नारायण राणे को चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा कर दी।
भाजपा ने महाराष्ट्र के रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र से नारायण राणे को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने गुरुवार को अपने लोकसभा उम्मीदवार की 13वीं सूची जारी की है जिसमें भाजपा ने मात्र एक उम्मीदवार (नारायण राणे) के नाम की घोषणा की है। इस तटीय सीट का प्रतिनिधित्व अभी विनायक राउत कर रहे हैं जिन्हें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने फिर से उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने पहले कभी इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा है। राणे के बेटे निलेश राणे ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर 2009 में इस सीट पर जीत हासिल की थी।
2019 में शिवसेना के विनय राउत जीते थे चुनाव
नारायण राणे केंद्र की सरकार में मंत्री हैं और उनका राज्यसभा का कार्यकाल इसी महीने समाप्त हुआ है। 2019 के पिछले लोकसभा चुनाव में रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट से शिवसेना के उम्मीदवार विनायक राउत चुनाव जीते थे, लेकिन आज वह शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के साथ हैं। विनायक राउत ने पिछले लोकसभा चुनाव में नारायण राणे के बेटे नीलेश नारायण राणे को ही चुनाव में हराया था जो महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष के बैनर तले चुनाव लड़े थे। शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) इसी आधार पर रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट पर अपना दावा जता रहा था, लेकिन गठबंधन में यह सीट फाइनली भाजपा के खाते में आई और पार्टी ने आज यहां से नारायण राणे को चुनावी मैदान में उतारने की घोषणा कर दी।
जानें, नारायण राणे के बारे में
नारायण राणे ने शिवसेना से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे। राणे ने शिवसेना के बाद कांग्रेस का हाथ थाम लिया था और बाद में अपनी पार्टी भी बनाई। हालांकि वहां उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली और आखिरकार उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। राणे फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं।
राणे का जन्म 10 अप्रैल 1952 को हुआ था। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत काफी कम उम्र में शिवसेना के साथ की थी। वह सबसे पहले मुंबई के चेंबूर में शिवसेना के स्थानीय शाखा प्रमुख बने। इसके बाद उन्होंने कोपड़गांव से पार्षद का चुनाव जीता। उनकी राजनीति का सबसे बड़ा पल 1999 में उस समय आया जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं शिवसेना नेता मनोहर जोशी ने पद छोड़ दिया और राणे को सूबे का सीएम बना दिया गया। हालांकि राणे सिर्फ फरवरी 1999 से लेकर अक्टूबर 1999 तक ही इस पद पर रह पाए।
3 जुलाई 2005 को शिवसेना ने राणे को पार्टी से निकाल दिया जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। कांग्रेस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में राणे महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बने। हालांकि कांग्रेस में भी वह ज्यादा दिन तक शांत नहीं रह पाए और 6 दिसम्बर 2008 को पार्टी के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां करने के लिए पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया। बाद में फरवरी 2009 को उन्होंने पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी को माफीनामा पत्र दिया जिसके बाद उनका निलंबन रद्द कर दिया गया। हालांकि बाद में फिर उन्होंने बगावती तेवर अपनाए और कांग्रेस छोड़ने, अपनी पार्टी बनाने के बाद अब वह बीजेपी में हैं।
यह भी पढ़ें-
चुनाव Flash Back: अफवाह के कारण जीता हुआ चुनाव हार गए थे अटल बिहारी वाजपेयी, पढ़ें पूरा किस्सा
तेजस्वी की सभा में चिराग की मां को दी गई गाली, वायरल वीडियो से जमुई में मचा तूफान; मिला रिएक्शन