मुंबई में गरमाया मराठी साइन बोर्ड का मुद्दा, डेडलाइन खत्म
मुंबई में मराठी साइन बोर्ड का मुद्दा फिर से गरमाया है। इसको लेकर राज ठाकरे की पार्टी मनसे सड़कों पर उतर रही है और प्रदर्शन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ दुकानदार डेडलाइन देखकर दुकानों के नाम मराठी में लगवा रहे हैं। मुंबई के व्यापारी संगठनों ने भी इसको सकारात्मक तौर पर देखा है। देखिए यह रिपोर्ट...
मुंबई: बीएमसी ने मुंबई में दुकानों पर मराठी बोर्ड लगाने की आखिरी समय सीमा 28 नवंबर तय कर दी है। इसके बाद दुकानदारों के खिलाफ सीधे कार्रवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दुकानदारों को मराठी में बोर्ड लगाने के लिए दो महीने का समय दिया था। यह समय सीमा 25 नवंबर 2023 को समाप्त हो गई। अब 26 और 27 को पब्लिक हॉलीडे होने के चलते बीएमसी ने 28 नवंबर के बाद कार्रवाई शुरू करने के संकेत दिए हैं। मराठी में बोर्ड न लगाने वाले दुकानदारों को नोटिस देने के साथ ही समय सीमा बढ़ाने की अवधि अब समाप्त हो चुकी है। 28 नवंबर के बाद बीएमसी की टीम जांच के लिए दुकानों का दौरा करेगी। नियम के अनुसार मराठी भाषा में लिखा बोर्ड नहीं पाए जाने पर उन दुकानदारों के खिलाफ सीधे दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
बीएमसी ने शुरू की थी कार्रवाई
बता दें कि मुंबई में 7 लाख से अधिक दुकानें, होटल और अन्य प्रतिष्ठान हैं। इन्हें 28 नवंबर तक की डेडलाइन दी गई थी। दुकानों पर मराठी बोर्ड की जांच के लिए सभी 24 वॉर्डों में अलग-अलग टीम का गठन किया जाएगा। यह टीम संबंधित एरिया की दुकानों पर जाकर बोर्ड की जांच करेगी और आवश्यकता के अनुसार कार्रवाई करेगी। बीएमसी ने ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी, जिनके पास मराठी भाषा में बोर्ड नहीं थे। बीएमसी की चेतावनी के बाद 23,436 दुकानदारों ने अपनी दुकानों पर मराठी भाषा में बोर्ड लगा दिए हैं। वहीं चेतावनी को नजरअंदाज करने वाले करीब 5,217 दुकानदारों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि उसके बाद व्यापारी संगठनों ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद बीएमसी ने यह कार्रवाई रोक दी थी ।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी याचिका
दुकानों पर प्रमुखता से मराठी भाषा में बोर्ड लगाने के मामले में व्यापारियों की ओर से दायर याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने दो महीने के अंदर मराठी भाषा में बोर्ड लगाने का भी निर्देश दिया था। यह अवधि 25 नवंबर को समाप्त हो गई। बीएमसी ने दुकानदारों को तीन दिन की और मोहलत दी है। बीएमसी के दुकान और प्रतिष्ठान विभाग ने 28 नवंबर के बाद मराठी भाषा में बोर्ड नहीं लगाने वाले दुकानदारों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
नहीं दिखा बोर्ड तो लगेगा जुर्माना
फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष विरेन शाह ने भी दुकानदारों से अपील की है कि लोग अपनी-अपनी दुकानों पर जल्द से जल्द मराठी भाषा के बोर्ड लगवा लें। महाराष्ट्र राज्य के कानून के मुताबिक जांच के दौरान यदि दुकान पर मराठी भाषा में बोर्ड नहीं दिखा तो प्रति कर्मचारी 2000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि किसी दुकान में दस कर्मचारी काम करते हैं और उस दुकान पर मराठी बोर्ड नहीं लगा है, तो उस दुकानदार पर 20000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
महाराष्ट्र में गरमाई राजनीति
इसको लेकर महाराष्ट्र की राजनीति तेज हो गई है। मराठी साइन बोर्ड को लेकर सुप्रिया सुले से लेकर नाना पटोले ने सरकार पर हमला बोला है। सुप्रिया सुले का कहना है कि कोई टाइमलाइन दी गई थी, लेकिन यह राज्य के लॉ एंड ऑर्डर की बात है। मैं रोज़ रोज़ कहती हूं कि गृह मंत्रालय का काम सिर्फ़ ED, CBI या लोगों के घर में छापेमारी और पार्टी तोड़कर सरकार बनाने के लिए नहीं होता बल्कि राज्य का लॉ एंड ऑर्डर बनाये रखने के लिए भी होगा है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि यह सरकार का निर्णय है इसे कैसे लागू करना है वह तय करें। बीएमसी के चुनाव नहीं करवा पा रहे है। राज्य में डेंगू की बीमारी फैली, लोकल बॉडी को सरकार ने समाप्त कर दिया है। सिर्फ पैसे कमा कर खुद का प्रचार किया जा रहा है।
मनसे ने किया प्रदर्शन
इतना ही नही मनसे की तरह ही उद्धव ठाकरे की पार्टी भी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करते नजर आई। आज MNS ने मुंबई के कुर्ला स्तिथ सबसे बड़े मॉल फिनेक्स मार्केट सिटी पर जाकर मराठी साइन बोर्ड ना होने पर प्रदर्शन की चेतावनी दी थी, जिसके चलते बड़ी संख्या में पुलिस बल और मॉल की सिक्यूरिटी को तैनात किया गया था। मनसे नेता महेंद्र भानुशाली ने मनसे स्टाइल में मॉल में जाकर प्रदर्शन की बात की, लेकिन पुलिस ने सभी कार्यकर्ताओं को नारेबाजी के बाद हिरासत में ले लिया। MNS नेता महेंद्र भानुशाली ने बताया कि वो उन लोगों के खिलाफ हैं जो कोर्ट के ऑर्डर के बाद भी मराठी बोर्ड लगाने वाली बात को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ऐसे लोगों को सबक सिखाएंगे। महेंद्र ने कहा कि छोटे दुकानदार और बाजारों में सभी ने बोर्ड लगाए हैं तो इन बड़े शोरूम और मॉल्स को कोई कुछ नहीं कह रहा है।
मुंबईकर ने किया समर्थन
तमाम राजनीति और कानून दावपेंच के बीच, आम मुंबईकर ने इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि मराठी साइन बोर्ड होने से हमे कोई दिक्कत नहीं है बल्कि अच्छा ही लगता है। मुंबई में कमाते हैं तो मराठी लिखने में क्या दिक्कत है। जिन दुकानदारों ने नाम बदल दिया है उन्होंने बोला कि हमने खुशी-खुशी इस बात को लागू किया है। इतने हंगामे के बीच में बाजारों में लगभग सभी ने मराठी साइन बोर्ड लगा रखे हैं, तो कुछ दुकानदार आज की डेड लाइन को देखते हुए तुरंत दुकानों के नाम मराठी में लिखवा रहे हैं।