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कालीचरण महाराज के खिलाफ तीसरा केस दर्ज, पुणे में भड़काऊ भाषण देने का आरोप

 19 दिसंबर को छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा अफजल खान की हत्या का जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान आरोपियों की ओर से भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले भाषण दिए गए। 

कालीचरण महाराज के खिलाफ तीसरा केस दर्ज, पुणे में भड़काऊ भाषण देने का आरोप- India TV Hindi Image Source : TWITTER कालीचरण महाराज के खिलाफ तीसरा केस दर्ज, पुणे में भड़काऊ भाषण देने का आरोप

Highlights

  • नंदकिशोर एकबोटे और तीन अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज
  • 19 दिसंबर के कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण देने का आरोप

मुंबई: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने कालीचरण महाराज के खिलाफ तीसरी एफआईआर दर्ज हुई है। यह एफआईआर 19 दिसंबर को पुणे शहर की पुलिस ने भड़काऊ भाषण देने के आरोप में दर्ज की गई है। कालीचरण महाराज, मिलिंद एकबोटे, समस्त हिंदू अघाड़ी संगठन के नंदकिशोर एकबोटे और तीन अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस के मुताबिक पुणे के नाटूबाग मैदान में 19 दिसंबर को छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा अफजल खान की हत्या का जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान आरोपियों की ओर से भड़काऊ और नफरत फैलाने वाले भाषण दिए। इनके भाषण से मुस्लिम और ईसाई समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत हो सकती थी।

मामले के अन्य आरोपियों में मोहनराव शेटे, दीपक नागपुरे,  दिगेंद्र कुमार और कैप्टन शामिल हैं। कालीचरण महाराज महात्मा गांधी के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए पहले से ही विवादों में हैं और मिलिंद एकबोटे भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामलों के आरोपियों में से एक है।

आपको बता दें कि अकोला के शिवाजीनगर निवासी कालीचरण महाराज उर्फ अभिजीत सारग ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। । अकोला कोतवाली पुलिस थाने में भी पुलिस ने कालीचरण महाराज के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 294 (आपत्तिजनक हरकत) और 505 (सार्वजनिक तौर पर शरारत करने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया है। 

रविवार शाम रायपुर में दो दिवसीय 'धर्म संसद' (धार्मिक संसद) के समापन के दौरान, कालीचरण महाराज ने महात्मा गांधी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे की प्रशंसा की थी। उन्होंने लोगों से धर्म की रक्षा के लिए सरकार के मुखिया के रूप में एक कट्टर हिंदू नेता को चुनने के लिए भी कहा था। बाद में रायपुर में उनके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई।