पानी की किल्लत से जूझ रहा है महाराष्ट्र का ये गांव, महिलाएं और बच्चे दर-दर भटकने को मजबूर
महाराष्ट्र के जालना जिले में लोग पीने के पानी के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। इस इलाके में महिलाओं और बच्चों को पानी की तलाश में कई बार 2 से लेकर 4 किलोमीटर तक भटकना पड़ता है।
छत्रपति संभाजीनगर: एक तरफ जहां देश लोकतंत्र के महापर्व कहे जाने वाले आम चुनावों में व्यस्त है, तो वहीं महाराष्ट्र के एक इलाके के लोग दो बूंद पानी की तलाश में दर-दर भटकने को मजबूर हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र में जालना जिले के एक गांव की महिलाओं और बच्चों के दिन का अधिकतर समय पेयजल की व्यवस्था करने के लिए निकटवर्ती इलाकों में भटकने में चला जाता है। बदनापुर तहसील के अंदरूनी इलाकों में जालना-भोरकरदन रोड के पास स्थित तपोवन गांव में प्राकृतिक जल स्रोत नहीं हैं और वहां लोग पेयजल की जरूरत को पूरा करने के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं।
‘भीषण गर्मी में पानी लेने के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते हैं’
गांव में रहने वाले लोगों ने बताया कि पिछले 3 महीने में गांव में भूजल स्रोत सूख गए हैं जिसके कारण महिलाओं और बच्चों को आसपास के इलाकों से पीने का पानी लाने के लिए कम से कम 2 से 4 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है और भीषण गर्मी में पानी लेने के लिए इन इलाकों के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं। पिछले मॉनसून में हुई कम बारिश के कारण जिले के विभिन्न हिस्से पानी की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं। गांव में रहने वाली आम्रपाली बोर्डे ने कहा कि एक टैंकर घरेलू उपयोग के लिए रोजाना पानी की आपूर्ति करता है, लेकिन इसका रंग पीला होता है और इसे पीने एवं खाना पकाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
‘टैंकर से गांव तक लाया गया पानी पीने लायक ही नहीं होता’
बोर्डे ने कहा, ‘टैंकर गांव के कृत्रिम टैंक में पानी भर देता है। हमें पानी को अपने घरों तक ले जाना पड़ता है लेकिन यह पानी पीने योग्य नहीं होता। हम पेयजल दूसरे गांवों के खेतों में स्थित जल स्रोतों से लाते हैं।' उन्होंने कहा कि कुएं के मालिक अक्सर उन्हें पानी नहीं भरने देते। निकटवर्ती गांव पोवन टांडा, तुपेवाडी और बनेगांव भी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। जालना में 30 अप्रैल तक 282 गांव और 68 बस्तियां 419 टैंकर पर निर्भर थीं। टैंकर चालक गणेश ससाने हर दिन 12 किलोमीटर दूर स्थित एक कुएं से तपोवन में पानी लाते हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे अपने टैंकर को भरने के लिए एक घंटे इंतजार करना पड़ता है। मैं तपोवन में कम से कम दो बार जाता हूं। गांव में करीब 400 मकान हैं।’
‘जल जीवन मिशन योजना के तहत पाइपलाइन का काम चल रहा’
वहीं, गांव की सरपंच ज्योति जगदाले ने कहा, ‘हमारे गांव में नदी या सिंचाई परियोजना जैसा कोई बड़ा जल स्रोत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन योजना के तहत पाइपलाइन का काम चल रहा है और इसके पूरा होने पर ग्रामीणों को कुछ राहत मिलेगी। बता दें कि जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की परिकल्पना है जिसके तहत 2024 तक ग्रामीण भारत के सभी घरों में व्यक्तिगत घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।