शिवसेना ने आर्थिक पैकेज पर पूछा, क्या भारत अभी आत्मनिर्भर नहीं है?
सामना में कहा गया कि आत्मनिर्भरता के इस नए रास्ते पर भारत उद्योगपतियों के देश से बाहर चले जाना वहन नहीं कर सकता है और इसके लिए कुछ समय तक ‘प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी राजनीतिक संस्थाओं पर विराम’ लगाया जाना चाहिए।
मुंबई। शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि क्या भारत अभी ‘आत्मनिर्भर’ नहीं है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में पूछा गया है कि 20 लाख करोड़ रुपये का प्रबंध कैसे किया जाएगा। पार्टी ने अपने मुखपत्र में कहा कि एक ऐसा माहौल तैयार करने की जरूरत है जहां उद्योगपतियों, कारोबारियों और बिजनेस क्षेत्रों को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाए। सामना में कहा गया कि आत्मनिर्भरता के इस नए रास्ते पर भारत उद्योगपतियों के देश से बाहर चले जाना वहन नहीं कर सकता है और इसके लिए कुछ समय तक ‘प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी राजनीतिक संस्थाओं पर विराम’ लगाया जाना चाहिए।
शिवसेना ने कहा कि देश को बताया जा रहा है कि यह पैकेज लघु, छोटे और मध्यम प्रतिष्ठानों, गरीब श्रमिकों, किसानों और आयकर देने वाले मध्य वर्ग को फायदा पहुंचाएगा। मराठी भाषा में प्रकाशित होने वाले सामना में कहा गया है, ‘‘ केंद्र सरकार के अनुसार यह पैकेज 130 करोड़ भारतीय लोगों तक पहुंचेगा और देश आत्मनिर्भर बनेगा। क्या इसका मतलब यह है कि भारत मौजूदा समय में आत्मनिर्भर नहीं है?’’ सामना में कहा गया कि यह अच्छा है कि भारत में पीपीई और एन-95 मास्क का उत्पादन हो रहा है। सामना में कहा गया, 'कोई भी देश संकट और संघर्षों से सीखने के बाद आगे बढ़ता है। आजादी से पहले भारत में एक सूई का भी उत्पादन नहीं होता था लेकिन 60 वर्षों में भारत विज्ञान, तकनीक, कृषि, कारोबार, रक्षा, उत्पादन और परमाणु विज्ञान क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना।' सामना में कहा गया कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) जैसे संस्थान पीपीई किट के निर्माण में मदद कर रहे हैं जो कि आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा है। शिवसेना ने इस पर भी सवाल पूछे हैं कि 20 लाख करोड़ रुपये वाले पैकेज के लिए धन कैसे जुटाए जाएंगे। शिवसेना ने कहा, 'ऐसा माहौल तैयार करने की जरूरत है जहां उद्योगपतियों, कारोबार और बिजनेस क्षेत्र को निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाए।'
सामना में कहा गया, 'आत्मनिर्भरता के रास्ते में भारत उद्योगपतियों का देश छोड़कर जाना वहन नहीं कर सकता है और इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी संस्थाओं को कुछ समय के लिए लॉकडाउन करने की जरूरत है।' सामना में पूछा गया कि 'लॉकडाउन-4' और आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद भी इसका असर शेयर बाजार में क्यों नहीं दिखा? मुखपत्र में कहा गया, 'निवेशक दुविधा में हैं। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को भरोसा और समर्थन जरूर दिखाना चाहिए।' उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा, 'पहले पंडित नेहरू थे और अब मोदी हैं। अगर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने डिजिटल इंडिया की नींव नहीं डाली होती तो कोरोना वायरस के समय में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों तथा नौकरशाहों का वीडियो कॉन्फ्रेंस कॉल कैसे होता।' शिवसेना ने प्रधानमंत्री मोदी से सहमति दिखाते हुए कहा कि कोरोना वायरस लंबे समय तक रहेगा लेकिन जीवन को इसके आस-पास ही घूमते नहीं रहना है। शिवसेना ने कहा, ‘‘हमें अपने पैरों पर फिर से खड़े होना होगा।'