Maharashtra News: महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव ‘जीआर‘ में राज्य के सभी कर्मचारियों को ‘हैलो‘ के बजाय ‘वंदे मातरम‘ बोलने का निर्देश दिया गया है। जिसके बाद रविवार को इस पर सियासी घमासान शुरू हो गया। आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 153 वीं जयंती के अवसर पर ये आदेश जारी किया गया है। हालांकि अगस्त में ही इसकी तैयारी की गई थी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा अध्यादेश जारी किया गया। सभी कर्मचारियों को ‘वंदे मातरम‘ के साथ फोन कॉल का जवाब देने और कर्मचारियों को संबोधित करने, नागरिकों से बात करने या सार्वजनिक घोषणा करने के लिए ‘हैलो‘ के बजाय ‘वंदे मातरम‘ अनिवार्य है।
डिप्टी सीएम फड़णवीस ने वर्धा में शुरू किया था अभियान
इसके लिए अभियान औपचारिक रूप से वर्धा में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार द्वारा शुरू किया गया था। मीडिया के सवालों के जवाब में मुनगंटीवार ने कहा, यह गांधी जयंती के अवसर पर शुरू किया गया एक अभियान है। वास्तव में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित ‘जन गण मन‘ राष्ट्रगान है और बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखित ‘वंदे मातरम‘ राष्ट्रीय गीत है।
वंदेमातरम को फिर दिनचर्या में वापस लाना होगाः फड़णवीस
फडणवीस ने कहा, वंदे मातरम के नारे ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ‘शहीद भगत सिंह के अंतिम शब्द ‘वंदे मातरम‘ थे। हमें इसे फिर से अपनी दिनचर्या में वापस लाना होगा। अब हम शुरू करते हैं ‘वंदे मातरम‘ संचलन।
हालांकि, कई राजनीतिक दलों ने इस फैसले का विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष महा विकास अघाड़ी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी। महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने कहा कि यह कदम स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, हम ‘सारे जहां से अच्छा‘ की बधाई देना चाहते हैं न कि ‘वंदे मातरम‘ की। मुसलमान ‘वंदे मातरम‘ नहीं बोल सकते क्योंकि यह उनकी आस्था के खिलाफ है।
बीजेपी के दबाव में लिया शिंदे ने लिया निर्णय
आजमी ने यह जानने की भी मांग की कि क्या शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी के दबाव में ‘जय महाराष्ट्र‘ को त्यागकर ‘वंदे मातरम‘ अपनाया था। मैं बालासाहेब ठाकरे से कई बार मिला थाण्ण् वह हमेशा श्जय महाराष्ट्रश् कहते थे और शिव सैनिक उसी के साथ जवाब देते थे।
कांग्रेस ‘जय किसान‘ या ‘राम राम‘ को प्राथमिकता देगी
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि वह ‘वंदे मातरम‘ अभिवादन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसानों के निर्माण को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ‘जय किसान‘ या ‘राम राम‘ को प्राथमिकता देगी। शिवसेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता किशोर तिवारी ने कहा, वंदे मातरम कहना एक स्वागत योग्य है। लेकिन किसानों का सम्मान करने के लिए ‘जय किसान‘ कहने और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार ‘जय सेवा‘ कहने का अभियान होना चाहिए।
देशभक्ति की भावना बढ़ाता है वंदेमातरम
एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो का मानना है कि ‘वंदे मातरम‘ भारतीयों में गर्व की भावना और देशभक्ति की भावना का अह्वान करता है। लेकिन लोगों को ऐसा कहने के लिए मजबूर करना सही नहीं है। यह उनके बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है और लोगों पर एक विशेष मानसिकता भी थोपना है। उन्हें गर्व के साथ वंदे मातरम कहने दें, उन्हें ऐसा कहने के लिए मजबूर न करें।