महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके 15 विधायकों की अयोग्यता को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को गलत ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि ठाकरे ने खुद इस्तीफा दे दिया। अगर उद्दव ने इस्तीफा नहीं दिया होता तो राहत दे सकते थे। कोर्ट ने शिंदे गुट को राहत देते हुए कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर अब विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय दें। अब अगर स्पीकर शिंदे और बाकी 15 विधायकों अयोग्य करार कर देते हैं तो शिंदे सरकार गिर सकती है?
क्यों हर हाल में बची रहेगी शिंदे सरकार-
लेकिन इस बीच गौर करने वाली बात है कि अगर इस मामले पर कोर्ट का फैसला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत उनके 15 विधायकों के खिलाफ भी आता है, तब भी उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा की कुल विधायकों की संख्या 288 है। इनमें से अगर 16 विधायक अयोग्य भी हो जाते हैं तो संख्या 272 होती है। ऐसे में सरकार को बहुमत के लिए 137 विधायकों का समर्थन जरूरी है। फिलहाल बीजेपी-शिवसेना के पास कुल मिलाकर 164 विधायकों का बहुमत है। ऐसे में अगर 164 में से 16 विधायक अपात्र भी हुए तो भी संख्याबल 148 बेचेगा, लिहाजा शिंदे सरकार को कोई खतरा नहीं है।
आज सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया-
बता दें कि आज उद्धव गुट की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर के रोल पर सवाल उठाते हुए कहा कि वो पार्टी के अंदरूनी झगड़ों को निपटाने के लिए फ्लोर टेस्ट नहीं बुला सकते। कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर उद्धव ठाकरे ने खुद ही इस्तीफा नहीं दिया वो उन्हे बहाल कर सकते थे। कोर्ट ने कहा कि उद्धव ने बिना फ्लोर टेस्ट के ही इस्तीफा दे दिया था और अगर उन्होंने इस्तीफा न दिया होता तो कोर्ट उन्हें बहाल भी कर सकती थी।
जब गिर गई थी उद्धव सरकार
गौरतलब है कि 29 जून 2022 को महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट चरम पर पहुंच गया था, जब शीर्ष अदालत ने ठाकरे के नेतृत्व वाली 31 महीने पुरानी एमवीए सरकार का बहुमत परीक्षण कराने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार बनी थी।
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