मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र `सामना' ने शनिवार को अपने संपादकीय में कहा कि औरंगाबाद जिले में हुए ट्रैन हादसे जिसमें 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हुई थी उसके लिए सरकार जिम्मेदार थी। अखबार ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि इस दुर्घटना के लिए उसने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र या शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार में से किसको जिम्मेदार ठहराया है। संपादकीय में कहा गया कि सरकार ने उन मजदूरों को अपने मूल स्थान पर वापस जाने की अनुमति देने के बारे में नहीं सोचा और न ही उनके भोजन की व्यवस्था की थी।अखबार में कहा गया कि प्रशासन को कोरोना वायरस से संबंधित ऐसे नियमों को लागू करने से पहले गरीबों की समस्याओं को ध्यान में रखना चाहिए।
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के कारण 20 श्रमिक पैदल ही महाराष्ट्र के जालना से मध्यप्रदेश जा रहे थे। रास्ते में थकने के कारण उनमें से 17 लोग ट्रेन की पटरियों पर आराम करने के लिए लेट गए जबकि तीन अन्य पास के खेत में बैठ गए। इसी दौरान तेज गति से जा रही मालगाड़ी से कट कर उनमें से 16 की मौत हो गई जबकि एक घायल हो गया। इस घटना में पटरियों की गश्त करने वालों की भूमिका की जांच की जाएगी, क्योंकि उन्हें लॉकडाउन के दौरान लोगों को पटरियों से दूर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। रेलवे ने औरंगाबाद में पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी श्रमिकों की मालगाड़ी से कटकर मौत की घटना की जांच का आदेश दिया है।
रेल मंत्रालय ने कहा, ‘‘दक्षिण मध्य सर्किल के रेलवे संरक्षा आयुक्त राम कृपाल आज हुई श्रमिकों की मौत के मामले की स्वतंत्र जांच करेंगे। दक्षिण मध्य रेलवे के नांदेड़ रेलवे डिविजन के परभनी-मनमाड संभाग में श्रमिक मालगाड़ी से कट कर मर गए हैं।’’ हालांकि, रेलवे ऐसी दुर्घटनाओं को ‘‘रेल दुर्घटना’’ की श्रेणी में नहीं रखती है और ट्रेन से कट कर मरने की घटनाओं को ‘‘अनाधिकार प्रवेश’’ का मामला मानती है। लेकिन अतीत में कुछ घटनाएं ऐसी भी हुई हैं जब रेलवे ने मानवीय आधार पर ऐसी दुर्घटनाओं में मरने वालों के परिजन को अनुग्रह राशि दी है।
रेलवे ने 2017 में मुंबई के एल्फिस्टन पुल गिरने के हादसे में मरे 23 लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को एक-एक लाख रुपये जबकि अन्य घायलों को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि दी थी। औरंगाबाद वाले मामले में रेलवे ने अभी तक अनुग्रह राशि की घोषणा नहीं की है।