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Hindi News महाराष्ट्र VIDEO: 'अगर न होती जेसीबी तो चली जाती गर्भवती महिला की जान', जानें एक मां के लिए आखिर कैसे देवदूत बनी मशीन

VIDEO: 'अगर न होती जेसीबी तो चली जाती गर्भवती महिला की जान', जानें एक मां के लिए आखिर कैसे देवदूत बनी मशीन

महाराष्ट्र की एक गर्भवती महिला के लिए जेसीबी देवदूत बन गई, इससे महिला और उसके बच्चे की जान बच गई। आइए जानें कि आखिर मशीन कैसे देवदूत बन खड़ी हुई...

Maharashtra- India TV Hindi Image Source : SCREENGRAB गर्भवती महिला व परिजन

अब तक आपने कई खबरें पढ़ी या सुनी होंगी की जेसीबी ने कई घरों को उजाड़ दिया पर राज्य के गढ़चिरौली जिले से इस खबर को जानने के बाद आपको सुकून आएगी क्योकि यही जेसीबी मशीन भामरागढ़ तालुका के कुड़केली की एक महिला के लिए देवदूत बन गई। वहीं, गांव वालें तो यह तक कह रहे कि अगर जेसीबी मशीन न होती तो शायद गर्भवती महिला न बचती।

महिला को शुरू हुई अचानक प्रसव पीड़ा

मिली जानकारी के मुताबिक, भामरागढ़ तालुका के कुड़केली की 20 वर्षीय झुरी संदीप मडावी को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने इसकी जानकारी आशा कार्यकर्ता संगीता शेगमकर को दी। आशा कार्यकर्ता ने यह जानकारी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ऋचा श्रीवास्तव को दी, जिस पर यह हुआ कि जल्द महिला को अस्पताल ले आओ। बता दें कि ये घटना 18 जुलाई की सुबह की है।

3 किलोमीटर पैदल चली महिला

इसके बाद परिजनों के साथ आशा कार्यकर्ता संगीता तुरंत ताड़गांव स्वास्थ्य टीम की एंबुलेंस लेकर कुड़केली के लिए रवाना हो गई। हालांकि नेशनल हाईवे पर कुड़केली के पास नाले से बाढ़ का पानी बहने के कारण एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी, इसलिए आशा कार्यकर्ता शेगमकर ने ग्रामीणों की मदद से गर्भवती मां को करीब 3 किलोमीटर पैदल चलकर नाले तक पहुंचाया।

फिर देवदूत बनी जेसीबी

पर अभी भी दुविधा थी क्योंकि नाले के दूसरी ओर एंबुलेंस होने के कारण गर्भवती मां नाले को पार नहीं कर सकती थी, इसलिए ग्रामीणों की मदद से उसे पुल निर्माण कार्य के लिए मौजूद जेसीबी पोकलैंड मशीन के बकेट में बिठाकर नदी पार करनी पड़ी। चूंकि रास्ता नहीं था इसलिए जेसीपी पोकलैंड के बकेट में बैठाकर महिला को नदी पार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

ग्रामीण उठा रहे सवाल

बता दें कि अलापल्ली से भामरागढ़ तक नेशनल हाइवे पर जगह जगह पुल निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन 16 और 17 जुलाई को भारी बारिश के कारण रास्ता नहीं होने के कारण ट्रैफिक के लिए वैकल्पिक मार्ग बनाए गए हैं पर बाढ़ के कारण वह रास्ते बह जाने से गर्भवती महिला को जान जोखिम में डालकर पैदल सफर करना पड़ा, ऐसे में लोग कह रहे कि जेसीपी पोकलैंड न होती तो गर्भवती मां की जान जा सकती थी। अब मामले को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा कि अगर गर्भवती महिला के लिए यह सफर घातक हो जाता तो इसका जिम्मेदार कौन होता?

अधिकारी ने दी ये जानकारी

जिला स्वास्थ्य अधिकारी प्रताप शिंदे ने बताया कि गर्भवती महिला को एम्बुलेंस में नदी के पार ले जाया गया और उसे कुड़केली नदी से 12 किमी दूर भामरागढ़ ग्रामीण अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया, सौभाग्य से वह सुरक्षित रूप से ग्रामीण अस्पताल पहुंच गई। अस्पताल में पहुंचने के बाद उस गर्भवती महिला पर इलाज चल रहा है।

(इनपुट- नरेश सहारे)

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