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Hindi News महाराष्ट्र बच्ची से पिता के यौन उत्पीड़न केस की सुनवाई के दौरान किस दलील पर 'स्तब्ध' रह गए न्यायाधीश?

बच्ची से पिता के यौन उत्पीड़न केस की सुनवाई के दौरान किस दलील पर 'स्तब्ध' रह गए न्यायाधीश?

मुंबई की एक विशेष अदालत ने 40-वर्षीय एक व्यक्ति को अपनी पांच साल की बेटी के यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया है और उसे पांच साल कारावास की सजा सुनाते हुए कहा है कि एक पिता अपनी बेटी का संरक्षक होता है। 

Father convicted of sexually abusing daughter- India TV Hindi Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE Father convicted of sexually abusing daughter

Highlights

  • 40 साल के व्यक्ति ने बेटी से यौन उत्पीड़न
  • अदालत ने सुनाया पांच साल कारावास
  • कोर्ट में बचावकर्ता के तर्क से स्तब्ध हुए जज

मुंबई। एक विशेष अदालत ने 40-वर्षीय एक व्यक्ति को अपनी पांच साल की बेटी के यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया है और उसे पांच साल कारावास की सजा सुनाते हुए कहा है कि एक पिता अपनी बेटी का संरक्षक होता है। अदालत ने बचावकर्ता के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि ‘‘त्वचा से त्वचा’’ का कोई संपर्क नहीं हुआ था। बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत गठित विशेष अदालत ने आरोपी को अपनी नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न के मामले में भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम के तहत 12 अप्रैल को दोषी ठहराया। इस आदेश की प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई। 

विशेष न्यायाधीश एचसी शिंदे ने आरोपी के वकील के इस तर्क को ‘‘स्तब्धकारी’’ बताया कि पीड़िता ने कभी यह नहीं कहा कि उसके पिता ने ‘‘अपनी उंगलियों से उसके निजी अंगों को छुआ।’’ अदालत ने कहा, ‘‘मैं इस तरह की दलीलों से स्तब्ध हूं, क्योंकि पॉक्सो अधिनियम की धारा सात में प्रदत्त यौन उत्पीड़न संबंधी प्रावधान/परिभाषा में भी यह निर्दिष्ट नहीं है कि हमलावर को पीड़िता के निजी अंग को कैसे छूना चाहिए’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में आरोपी पीड़िता का पिता है और इसलिए उसके खिलाफ नरमी बरते जाने की दलील अनुपयुक्त है और ऐसा करना ‘‘न्याय का उपहास’’ होगा। 

विशेष न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एक पिता अपनी बेटी का संरक्षक होता है, इसलिए यह अपराध और भी जघन्य बन जाता है।’’ आरोपी की पत्नी ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने कहा था कि 2019 में पीड़िता की अध्यापिका ने उसे बताया था कि बच्ची स्कूल में अजीब व्यवहार कर रही है। शिकायकर्ता ने जब अपनी बेटी से इस बारे में बात की, तो उसने बताया कि उसके पिता ने उसके निजी अंगों को छुआ। इसके बाद महिला ने अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। आरोपी ने दावा किया कि उसकी पत्नी उसे छोड़ना चाहती है, इसलिए वह उसे झूठे मामले में फंसा रही है। 

अदालत ने अपने आदेश में इस दलील को अस्वीकार कर दिया और कहा कि मामले की पूरी सुनवाई के दौरान पीड़िता अपने बयान पर अडिग रही कि आरोपी ने उसके निजी अंगों को छुआ था। अदालत ने कहा, ‘‘पीड़िता केवल यह नहीं कह रही कि आरोपी ने उसे छुआ, बल्कि उसने यह भी कहा कि इसके बाद आरोपी ने उसे धमकाया था कि यदि उसने इस बारे में किसी को बताया, तो वह उसे सजा देगा। इस कृत्य के पीछे आरोपी का दोषी मन नजर आता है।’’