मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ED की बड़ी कार्रवाई, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल परब की सम्पत्ति जब्त
ईडी ने कहा कि मालिक के रूप में अपनी पहचान छिपाने के लिए परब ने पिछले मालिक विभास साठे के नाम पर राजस्व विभाग से आवेदन पर अपने हस्ताक्षर करके अनुमति प्राप्त की।
उद्धव ठाकरे की शिवसेना को बड़ा झटका लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को पूर्व मंत्री अनिल डी. परब की 10.20 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली है। ईडी ने एक बयान में बताया कि रत्नागिरि में परब, साई रिजॉर्ट्स एनएक्स और अन्य के खिलाफ कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के संबंध में कुर्की की गई। कुर्की में मुरुड में एक एकड़ की जमीन जो करीब 2,73,91,000 रुपये की है और इस पर बने रिसॉर्ट की कीमत 7,46,47,000 रुपये है।
पिछले साल शुरू हुई थी जांच
पीएमएलए के तहत पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की शिकायत के बाद, ईडी ने पिछले साल परब, साई रिसॉर्ट्स एनएक्स, सी कोंच रिसॉर्ट्स और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की थी और उनके खिलाफ दापोली पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी करने और महाराष्ट्र सरकार को नुकसान पहुंचाने की शिकायत दर्ज की गई थी।
अवैध रूप से रिसॉर्ट का निर्माण कराया
ईडी की जांच में पता चला कि परब ने सदानंद कदम की मिलीभगत से स्थानीय एसडीओ कार्यालय से भूमि को कृषि से गैर-कृषि उपयोग में बदलने के लिए अवैध अनुमति प्राप्त की और सीआरजेड मानदंडों का उल्लंघन करते हुए रिसॉर्ट का निर्माण किया। परब ने राजस्व विभाग से सीआरजेडी-3 या नो डेवलपमेंट जोन के तहत आने वाली भूमि के टुकड़े पर ग्राउंड प्लस वन फ्लोर ट्वीन बंगला बनाने के लिए अवैध मंजूरी प्राप्त की और फिर उन्होंने ग्राउंड प्लस टू फ्लोर के साथ साई रिसॉर्ट्स एनएक्स का निर्माण किया।
मालिक के रूप में अपनी पहचान छुपाई
ईडी ने कहा कि मालिक के रूप में अपनी पहचान छिपाने के लिए परब ने पिछले मालिक विभास साठे के नाम पर राजस्व विभाग से आवेदन पर अपने हस्ताक्षर करके अनुमति प्राप्त की। परब पर जानबूझकर इस तथ्य को दबाने का भी आरोप है कि भूमि ग्राम पंचायत के पास सीआरजेड-3 के अंतर्गत आती है, और बाद में जीपी पर दबाव डालकर भूमि और भवनों को अपने नाम पर स्थानांतरित कर दिया, हालांकि मूल विलेख में किसी भी निर्माण का कोई उल्लेख नहीं था।
भुगतान जानबूझकर नकद में किया गया
ईडी ने कहा, "रिसॉर्ट के निर्माण के लिए भुगतान जानबूझकर नकद में किया गया था और निर्माण कार्य परब के नाम पर भूमि के पंजीकरण से पहले शुरू हुआ था, हालांकि भुगतान किया गया था और संपत्ति उसके कब्जे में थी।" ईडी ने तर्क दिया कि यह इमारत के असली मालिक के रूप में अपनी पहचान छिपाने के लिए किया गया था, ताकि भविष्य में भवन निर्माण खर्च और किसी भी अन्य उल्लंघन के सामने आने पर पहले के मालिक विभास साठे को दोषी ठहराया जा सके।
किरीट सोमैया ने दर्ज कराया था केस
ईडी ने कहा, ''जब अवैध रिसॉर्ट निर्माण के संबंध में विभिन्न शिकायतें सामने आईं, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतें भी शामिल थीं।''