अनिल देशमुख के इशारे पर वसूली के लिए सचिन वाजे को बार मालिकों की सूची दी गई थी: ED
ED ने सोमवार देर रात 12 घंटे की पूछताछ के बाद देशमुख को गिरफ्तार किया था।
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार को एक विशेष अदालत को बताया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के निर्देश पर मुंबई के पुलिस अधिकारी सचिन वाजे ने पद पर रहते हुए बार मालिकों से ‘‘रिश्वत’’ एकत्र करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ED ने कहा कि देशमुख ने एक अन्य व्यक्ति को मुंबई में बार और ऑर्केस्ट्रा मालिकों की सूची सौंपने के लिए कहा था। हालांकि, अवकाशकालीन विशेष अदालत के न्यायाधीश पी आर सित्रे ने अनिल देशमुख की हिरासत को नौ दिन और बढ़ाने के एजेंसी के अनुरोध को खारिज कर दिया और इसके बजाय उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
ED ने सोमवार देर रात 12 घंटे की पूछताछ के बाद देशमुख को गिरफ्तार किया था। एक अदालत ने मंगलवार को उन्हें छह नवंबर तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया था। ईडी की हिरासत खत्म होने के बाद देशमुख को विशेष अदालत के सामने पेश किया गया। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जाने के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज किया था। इसी आधार पर बाद में देशमुख और अन्य के खिलाफ धन शोधन का मामला दर्ज किया गया।
ED ने देशमुख की और हिरासत का अनुरोध करते हुए अदालत को बताया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अपने जवाब में टाल-मटोल कर रहे थे और उन्होंने अस्पष्ट जवाब दिए। ED ने सीबीआई द्वारा 21 अप्रैल को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद देशमुख और उनके साथियों के विरुद्ध जांच शुरू की थी।
सीबीआई ने देशमुख पर भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज की थी। ED ने आरोप लगाया कि उसकी जांच से पता चला है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनिल देशमुख और उनके परिवार द्वारा नियंत्रित 27 कंपनियों का उपयोग उनके गलत तरीके से कमाए गए धन के इस्तेमाल के लिए किया गया।
ED ने कहा, ‘‘आगे यह भी पता चला है कि ऋषिकेश देशमुख, सलिल देशमुख (अनिल देशमुख के बेटे) और अनिल देशमुख के परिवार के अन्य सदस्यों के निजी खातों से भी इन कंपनियों में पैसा भेजा गया।’’ जांच एजेंसी ने कहा कि आरोपी अनिल देशमुख ने भी उक्त कंपनियों में से कुछ के साथ लेन-देन किया था और वह इसका कारण नहीं बता पाए हैं, जो स्पष्ट रूप से अनिल देशमुख के उक्त कंपनियों के साथ जुड़ाव से इनकार करने के पीछे की मंशा को दर्शाता है।
ED ने कहा कि इस धनशोधन मामले में एक अन्य आरोपी सचिन वाजे की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि उसे अनिल देशमुख के निर्देश पर मुंबई के बार मालिकों से अवैध रिश्वत लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ED ने पांच नवंबर को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत में आवेदन किया था कि एजेंसी को वाजे का बयान दर्ज करने की अनुमति दी जाए ताकि वह इस मामले में तेजी लाने के लिए देशमुख से एकत्र किए गए दस्तावेजों, सबूतों का सामना करवा सके और इसे अपने तार्किक निष्कर्ष पर ले जा सके।
वाजे वर्तमान में उपनगरीय गोरेगांव थाने में दर्ज वसूली के मामले में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की हिरासत में हैं। ईडी ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि अनिल देशमुख के निर्देश पर एक व्यक्ति ने मुंबई में बार और ऑर्केस्ट्रा मालिकों की सूची सचिन वाजे को सौंपी।
एजेंसी ने कहा कि उस व्यक्ति को पूछताछ के लिए तलब किया जाना है। ED ने अदालत को बताया कि देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख को बयान दर्ज करने के लिए पांच नवंबर को तलब किया गया था लेकिन वह पेश नहीं हुए। ऋषिकेश को पहले भी पांच बार तलब किया जा चुका है और वह एक बार भी नहीं आए हैं।
इस बीच, ऋषिकेश ने अग्रिम जमानत अर्जी के साथ अदालत का रुख किया है। उनकी याचिका पर 12 नवंबर को सुनवाई होगी। ईडी ने कहा कि देशमुख ने राज्य का गृहमंत्री रहने के दौरान अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और बर्खास्त किए गए पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के जरिए मुंबई में विभिन्न बार और रेस्त्रां से 4.70 करोड़ रुपये से अधिक एकत्रित किए।
उक्त रिश्वत का एक हिस्सा उनके ट्रस्ट श्री साईं शिक्षण संस्था को दिल्ली स्थित पेपर कंपनियों की मदद से दान के रूप में भेजा गया था। ED ने कहा कि मामले में धन के प्रवाह का पता लगाने और अन्य व्यक्तियों के साथ आमना-सामना कराने के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री की ओर से पेश अधिवक्ता विक्रम चौधरी और अनिकेत निकम ने ED की हिरासत याचिका का विरोध किया। ईडी ने मामले में देशमुख के दो सहयोगियों- संजीव पलांदे और कुंदन शिंदे को भी गिरफ्तार किया था। दोनों अभी न्यायिक हिरासत में हैं।