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Hindi News महाराष्ट्र मलबे में दफ्न अपने मालिक को तलाश रहा 'मोती', चार दिनों से नहीं खाया अन्न का एक दाना 

मलबे में दफ्न अपने मालिक को तलाश रहा 'मोती', चार दिनों से नहीं खाया अन्न का एक दाना 

तलिये गांव के जिस घर में मोती रहता था, उसमें दो बच्चों सहित कुल 11 सदस्य थे। इन बच्चों के साथ मोती खेलता भी था और उनका ख्याल भी रखता था लेकिन ये सभी दुर्भाग्य से भूस्खलन की वजह से मलबे में दफन हो गए। 

Dog searching his owner in debris from last four days मलबे में दफ्न अपने मालिक को तलाश रहा 'मोती', च- India TV Hindi Image Source : PTI & INDIA TV मलबे में दफ्न अपने मालिक को तलाश रहा 'मोती', चार दिनों से नहीं खाया अन्न का एक दाना 

मुंबई. बारिश की वजह से बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने महाराष्ट्र में जमकर तांडव मचाया। राज्य के सतारा और रायगढ़ जिलों में अबतक करीब 150 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और करीब 60 लोग अभी भी लापता है। रेस्क्यू टीमें अभी भी मलबे में लोगों को तलाश रही हैं, पीड़ित परिवारों के संबंधियों को ईश्वर से चमत्कार की उम्मीद है। ऐसी ही उम्मीद है मोती नाम के एक कुत्ते को, जो पिछले चार दिनों से रायगढ़ के तलिये गांव में हर दिन उस परिवार को तलाश रहा है, जिसके साथ वो रहता था।

दरअसल तलिये गांव के जिस घर में मोती रहता था, उसमें दो बच्चों सहित कुल 11 सदस्य थे। इन बच्चों के साथ मोती खेलता भी था और उनका ख्याल भी रखता था लेकिन ये सभी दुर्भाग्य से भूस्खलन की वजह से मलबे में दफन हो गए। हादसे में चोट तो मोती के पैर में भी लगी है लेकिन जब पहाड़ गिरा तो मोती बचकर दूर चला गया लेकिन हादसे के बाद जब वो गांव में वापस लौटा तो उसे कोई अपना न नजर आया।

रेस्क्यू टीम ने बताया कि मोती पिछले चार दिनों से लगातार मलबे वाली जगह पर ही है और कुछ भी खा नहीं रहा है। NDRF के इंस्पेक्टर राजेश सावले का कहना हैं कि उनकी टीम कई बार मोती को मलबा स्थल से दूर ले गई लेकिन वो लौटकर फिर यहीं आ जाता है। उन्होंने बताया कि मोती दिनभर रोता रहता है, उसको खाने के लिए  बिस्किट दिए लेकिन उसने उन्हें सूंघा तक नहीं। वो हर वक्त मलबे के आसपास बैठा रहता है और कई बार पैर से मलबे की मिट्टी भी हटाने की कोशिश करता हैं।

भूस्खलन की वजह से जो परिवार मलबे में दफ्न हो गया है, उस परिवार का एक सदस्य पुणे से तलिये गांव पहुंचा है। पूछने पर उसने बताया कि मोती जब बहुत छोटा था तब उसको पहली बार घर पिताजी ले आए थे, तभी से वो इसी घर पर रहता था। बच्चों के साथ खेलता था। अब वो पूरे दिन NDRF की टीम को मलबा हटाते हुए देखता रहता है और शायद सोचता है कि उसके अपने इस मलबे में से सही सलामत निकलेंगे और उसे फिर से दुलार करेंगे।