"गंदे टॉयलेट, उबले पानी जैसी दाल और सोने के लिए जगह नहीं", शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा ने सुनाई जेल की व्यथा
शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा ने जेल में बंद रहने के दौरान अपनी कहानी शेयर की है। साथ ही उन्होंने जेल में हो रहे अमानवीय व्यवहार को भी दुनिया के सामने उजागर किया। उन्होंने इसकी शिकायत एनएचआरसी से भी की थी।
मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी के पति और बिजनेसमैन राज कुंद्रा को मुंबई क्राइम ब्रांच की प्रॉपर्टी सेल ने पॉर्न मामले में जुलाई 2021 में गिरफ़्तार किया, जिसके बाद वो मुंबई के आर्थर रोड जेल में करीबन 60 दिन तक बंद थे। जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद कुंद्रा ने साल 2021 में नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन को एक लेटर लिखकर बताया कि जेल में क़ैदियों के साथ अमानवीय बर्ताव किए जाते हैं। वहां उनके लिए ठीक से खाने, सोने यहां तक कि टॉयलेट की भी सही व्यवस्था नहीं है।
"बैरक में 49 की जगह 250 कैदी"
कुंद्रा ने अपने पत्र में कहा कि जिस बैरक में 49 क़ैदियों की जगह होती है वहाँ पर 250 कैदियों को रखा जाता है और हालात ऐसी होती है कि रात में सोते समय कोई हिल भी नहीं सकता है। जेल प्रशासन इस बात को मानता है कि जेल में भीड़ बहुत अधिक है। साथ ही यह भी दावा करते हैं की उनके यहां खाना अच्छी क्वालिटी का है और सुविधाएं भी उच्च स्तर की है।
स्लो पॉइज़न की तरह माहौल
कुंद्रा ने पत्र में अपने बुरे अनुभव के बारे में लिखा है कि जब वो जेल कस्टडी में थे तब उन्हें आर्थर रोड जेल के 6.4 नंबर बैरेक में रखा गया था। जेल में कैदियों के लिए ऐसा माहौल बनाकर रखा जाता है जो कि स्लो पॉइज़न की तरह है और कैदियों से सुअर से भी ज़्यादा बुरा व्यवहार किया जाता है। बैरेक में हर किसी को स्मोकिंग करने की इज़ाजत दी जाती है, जिसकी वजह से जो स्मोक नहीं करते उन्हें पैसिव स्मोकिंग करनी पड़ती है। बीड़ी और सिगरेट बिना बुझाए ऐसे ही फेंक दिये जाते है जिस वजह से कई बार चटका भी लगता है।
"दाल सिर्फ उबाला पानी"
कुंद्रा ने आगे लिखा है कि क्षमता से ज़्यादा लोग एक बैरक में होने की वजह से लोगों को सोने में काफ़ी दिक़्कतें होती है और इसी वजह से लड़ाई भी होती है। आलम यह है कि जब रात के समय कैदी शौचालय जाता है और वापस लौटने पर उसे उसकी सोने की जगह नहीं मिलती। कुंद्रा ने पत्र में यह भी कहा कि दिन भर दूसरों की स्मोकिंग का धुआं पीने के बाद और रात में ठीक से न सोने के बाद जो खाना मिलता है वो खाने लायक नहीं होता, दाल ऐसा कि मानो सिर्फ उबाला हुआ पानी हो और चावल कच्चा और एकदम कड़ा होता है।
"टॉयलेट की स्थिति ख़राब"
अपने दो पेज के लेटर में कुंद्रा ने नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन को बताया है, “टॉयलेट की स्थिति ख़राब है और जेल में अतिरिक्त सुविधा के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लेना होता है। मुझे जहां तक पता है हर क़ैदी के लिए जेल में प्रति दिन ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर के लिए 280 रुपए अलॉट किए जाते है, पर मैं इसकी गॉरंटी लेता हूं कि यहां 100 रुपए भी खर्च नहीं किए जाते, भगवान जाने बाक़ी बचे राशन के इन पैसों का क्या होता होगा?
"मानसिक स्थिति पर बुरा असर"
कुंद्रा के मुताबिक़, 60 दिन में उनका 13 किलो वजन कम हुआ और उनकी मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ा। कुंद्रा ने कहा कि जेल में कई ऐसे भी कैदी हैं जो कि वहां 5-7 साल से हैं और उनका ट्रायल तक शुरू नहीं हुआ। उनको वहां के रहन-सहन की वजह से स्किन की बीमारी हो रही है। इसके अलावा जो दवाइयां होती है वो बहुत ही जेनेरिक हैं न कि किसी स्पेसफ़िक बीमारी के इलाज के लिए विशेष उपचार है। यहां के डॉक्टर किसी भी बीमारी पर सिर्फ़ लाल , पीला और हरे रंग की दवाई देता है।
सवाल उठाने पर होती है पिटाई
कुंद्रा ने यह भी दावा किया है कि जब भी किसी जज का विज़िट होता है तो सब चीज़ सही कर दी जाती है। यहां तक कि ख़ाना भी अच्छा बनाया जाता है, पर वो भी खाने लायक़ नहीं होता। अगर कोई ऐसे खाने या वहाँ के सिस्टम पर सवाल उठाता है वो उसे हवलदार और अधिकारी डंडे से पीटते हैं। कुंद्रा ने पत्र लिखकर एनएचआरसी से इस मामले को गंभीरता से लेने की मांग की थी, साथ ही कुंद्रा ने इस बात को जानकारी ब्रिटिश एंबेसी को भी दी थी क्योंकि वो ब्रिटिश देश के OCI कार्ड होल्डर हैं।
एनएचआरसी ने बंद कर दी जांच
सूत्रों ने बताया कि राज कुंद्रा की इस शिकायत की जांच एनएचआरसी ने साल 2022 में ही बंद कर दी थी जब इस शिकायत के मिलने के बाद एनएचआरसी के लोग आर्थर रोड जेल गये थे। ह्यूमन राइट कमीशन को कुछ भी नहीं मिला था जैसा की दवा कुंद्रा ने किया था। एनएचआरसी ने जब इस जांच को बंद कर दिया उसके बाद राज कुंद्रा ने ऐसे क़ैदियों का वीडियो बनाया जो उसके साथ उसी बैरक में बंद थे और हर किसी ने वही बात कही जो बात कुंद्रा में अपने लेटर में कही थी।
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