महाराष्ट्र की महायुति सरकार में लगातार दूसरी बार उपमुख्यमंत्री बनने के साथ ही अजित पवार के तेवर भी बदल चुके हैं। अजित दादा के नाम से मशहूर एनसीपी नेता एक जनसभा में उस समय अपना आपा खो बैठे जब बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें विभिन्न मांगों के साथ ज्ञापन सौंपे। गुस्साए अजित पवार ने लोगों से कहा कि वे सिर्फ इसलिए उनके ‘‘मालिक’’ नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने उन्हें वोट दिया है। रविवार को बारामती में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री पवार ने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि क्या उन्होंने उन्हें अपना नौकर बना लिया है।
राकांपा नेता ने कहा, ‘‘आपने मुझे वोट दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप मेरे मालिक हैं।’’ इस बीच, अजित पवार के कैबिनेट सहयोगी एवं महाराष्ट्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इस बात पर जोर दिया कि लोग सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे ही नेताओं को सत्ता में लाते हैं।
शरद पवार से छीनी पार्टी
यह पहला मौका नहीं है, जब वक्त के हिसाब से अजित पवार ने अपने तेवर बदले हैं। इससे पहले वह अपने चाचा और राजनीतिक गुरु शरद पवार से उनकी ही पार्टी और चुनाव चिह्न छीन चुके हैं। अजित पवार ने एनसीपी के संस्थापक शरद पवार से ही राजनीति का ककहरा सीखा। शरद पवार ने ही अजित पवार को आगे बढ़ाया और यह तय माना जा रहा था कि शरद पवार के बाद अजित पवार ही एनसीपी के प्रमुख बनेंगे। हालांकि, अजित पवार ने इसका इंतजार नहीं किया।
महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा चुनाव के बाद महाविकास अघाड़ी की सरकार थी। उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। उन्हें कांग्रेस और एनसीपी का समर्थन था। ऐसे में अजित पवार ने एनसीपी के अधिकतर विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी को समर्थन दिया और एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के विधायकों का समर्थन लेकर सरकार बना ली। इस समय अजित ने अपने चाचा शरद पवार से उनकी पार्टी छीन ली थी। अब उन्होंने लोगों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया है, जबकि कुछ महीने पहले ही चुनावी सभा में उन्होंने कहा था कि अजित पवार सबके हैं और सबकी मदद करते हैं। (इनपुट- पीटीआई भाषा)