A
Hindi News महाराष्ट्र शिवसेना विधायकों के अयोग्यता पर आ गई फैसले की घड़ी, स्पीकर इस दिन सुनाएंगे जजमेंट

शिवसेना विधायकों के अयोग्यता पर आ गई फैसले की घड़ी, स्पीकर इस दिन सुनाएंगे जजमेंट

स्पीकर राहुल नार्वेकर शिवसेना के विधायकों के अयोग्यता पर अपना फैसला बुधवार को सुनाएंगे। बताया जा रहा है कि फैसला 1200 पन्नों का होगा। इस फैसले पर महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टियों के अलावा पूरे देश की नजर होगी।

 स्पीकर राहुल नार्वेकर- India TV Hindi Image Source : FILE-PTI स्पीकर राहुल नार्वेकर

मुंबईः महाराष्ट्र के विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायकों के अयोग्यता पर अपना फैसला 10 जनवरी को सुनाएंगे। बताया जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर 10 तारीख को शाम चार बजे अपना फैसला सुनाएंगे। सूत्रों के अनुसार, 1200 पन्नों का जजमेंट है। स्पीकर के पास 34 याचिकाएं दायर की थी जिसके 6 ग्रुप बनाये गए थे। हर ग्रुप का जजमेंट 200 पन्नों का होगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी अंतिम समय सीमा तय की है 

बता दें कि शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी अंतिम समय सीमा तय की है। फैसले से पहले स्पीकर राहुल नार्वेकर ने रविवार दोपहर सीएम एकनाथ शिंदे से उनके आधिकारिक आवास 'वर्षा' में मुलाकात की। सूत्रों ने कहा कि दोनों की मुलाकात लंच पर हुई और बैठक एक घंटे से अधिक समय तक चली। जहां इस दौरे से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई, वहीं विधानसभा के अधिकारियों ने कहा कि यह नार्वेकर के निर्वाचन क्षेत्र कोलाबा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए एक पूर्व निर्धारित बैठक थी।

54 शिवसेना विधायकों पर आएगा फैसला

विधानमंडल के अधिकारियों ने कहा कि नार्वेकर अपने समक्ष दायर 34 याचिकाओं के आधार पर 54 सेना विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने के लिए आदेश लिखेंगे। अंतिम दलील में शिंदे गुट के वकीलों ने दावा किया था कि उन्होंने महा विकास अघाड़ी छोड़ दी थी क्योंकि उनके मतदाता नाराज थे। इसलिए उनका अपना समूह बनाना और सरकार में शामिल होना अयोग्यता नहीं है।

 शिदें के विद्रोह से गिर गई थी उद्धव सरकार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को कहा कि उन्होंने शिवसेना को बचाने के लिए 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर पार्टी को विभाजित किया था। पुणे जिले के राजगुरुनगर में 'शिव संकल्प' रैली में लोकसभा चुनाव के लिए उनके नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के अभियान की शुरुआत करते हुए शिंदे ने यह बात कही। शिंदे ने कहा, ''मैंने ईमानदारी के साथ और पार्टी को बचाने के इरादे से रुख तय किया। शिंदे के विद्रोह की वजह से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की गठबंधन सरकार गिर गई थी, जिसके बाद वह भाजपा से गठबंधन कर मुख्यमंत्री बन गए थे।