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Hindi News महाराष्ट्र कोरोना की तीसरी लहर के दौरान नया खतरा, मुंबई में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला मामला

कोरोना की तीसरी लहर के दौरान नया खतरा, मुंबई में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला मामला

शहर के सबसे बड़े वॉकहार्ट हॉस्पिटल में एक 70 साल के हाई डायबिटीज़ मरीज़ की आंखों में ब्लैक फंगस मिलने की पुष्टि हुई है।

कोरोना की तीसरी लहर के दौरान नया खतरा, मुंबई में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला मामला- India TV Hindi Image Source : PTI कोरोना की तीसरी लहर के दौरान नया खतरा, मुंबई में सामने आया ब्लैक फंगस का पहला मामला

Highlights

  • 70 साल के मरीज़ की आंखों में ब्लैक फंगस मिलने की पुष्टि
  • कोरोना की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस ने पूरे देश मे कई लोगों की जान ली थी
  • मरीज़ को चेहरे के बाई तरफ की आंख और उसके नीचे हिस्से में तेज दर्द शुरू हुआ था

मुंबई: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देशभर में म्युकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) के मामले तेजी से सामने आए थे और इससे पीड़ित कई लोगों की मौत भी हो गई थी। ब्लैक फंगस का खतरा अब तीसरी लहर में भी नजर आ रहा है। कोरोना की इस तीसरी लहर में ब्लैक फंगस का पहला मामला मुम्बई में सामने आया है।

नए खतरे ब्लैक फंगस की दस्तक
हालांकि मुम्बई शहर में पिछले 5 दिनों से कोरोना के मामले तेज़ी से कम हो रहे हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर अब शहर में कमज़ोर पड़ रही है। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से पैदा हुई तीसरी लहर में लोग जहां थोड़ी सी राहत की सांस ले रहे थे वहीं एक नए खतरे ब्लैक फंगस ने मुंबई में दस्तक दे दी है। ब्लैक फंगस ने मुम्बई शहर समेत पूरे देश मे कई लोगों की जान ले ली थी। मुंबई में म्युकरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) का पहला मामला सामने आया है।

70 साल के मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि
शहर के सबसे बड़े वॉकहार्ट हॉस्पिटल में एक 70 साल के हाई डायबिटीज़ मरीज़ की आंखों में ब्लैक फंगस मिलने की पुष्टि हुई है। इस बुज़ुर्ग मरीज़ को इसी साल 12 जनवरी को कोविड पॉजिटिव और हाई डाइबिटीज़ होने के बाद वॉकहार्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इस दौरान 14 जनवरी को बुज़ुर्ग मरीज़ को उनके चेहरे के बाई तरफ की आंख और उसके नीचे हिस्से में तेज दर्द शुरू हुआ। जिसके बाद उनकी जांच ENT सर्जन ने की और कुछ टेस्ट के बाद ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई।

मरीज को नहीं दिया गया था स्टेरॉयड
70 साल के इस बुज़ुर्ग मरीज़ का इलाज कर रही डॉ हनी सावला ने बताया कि मरीज़ को हाई डाइबिटीज़ है और इन्होंने कई दिनों से अपनी दवा भी बंद कर दी थी जिसके चलते इनका शुगर लेवल 500 के ऊपर चला गया था।लेकिन कोविड के दौरान इन्हें किसी तरह का एस्टेरॉयड नही दिया गया था। डॉ. हनी का कहना है कि शुरुआत में ही बीमारी का पता चलने और समय रहते इलाज शुरू होने से ब्लैक फंगस निकालने के बाद भी उनकी आंखों की रोशनी नही गयी और वो बिल्कुल ठीक हैं।

हाई डाइबिटीज हो सकती है ब्लैक फंगस की वजह
डॉ. हनी सावला ने बताया कि मरीज़ का सैम्पल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है। रिजल्ट आने के बाद ही इसके बारे में कहा जा सकता है। डॉ. हनी ने कहा कि डेल्टा वेरियंट के दौरान ज़्यादातर लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ता था और ऑक्सीजन लेवेल कम होने के चलते उन्हें स्टेरॉयड भी दिया जाता था लेकिन तीसरी लहर में ऐसा नही हो रहा है। इस बुज़ुर्ग मरीज़ को भी इसकी जरूरत नही पड़ी और ना ही स्टेरॉयड दिया गया। ऐसे में फिलहाल पीड़ित का हाई डाइबिटीज होना इस म्युकरमाइकोसिस का कारण हो सकता है। डॉ. हनी सावला ने कहा कि पीड़ित मरीज़ पर और कई जांच किए जाएंगे जिसके बाद ही कुछ ज़्यादा जानकारी मिल सकेगी।