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Hindi News महाराष्ट्र सीएम शिंदे और उनके मंत्रियों ने नहीं चुकाया करोड़ों का बकाया बिल, स्विस कंपनी ने भेजा नोटिस, जानें पूरा मामला

सीएम शिंदे और उनके मंत्रियों ने नहीं चुकाया करोड़ों का बकाया बिल, स्विस कंपनी ने भेजा नोटिस, जानें पूरा मामला

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनकी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने इस मुद्दे पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है। स्विस कंपनी ने शिंदे सरकार को बकाया करोड़ों रुपये का नोटिस भेजा है।

महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO-PTI महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अब एक नए विवाद में फंस गए। सीएम शिंदे समेत उनके मंत्रियों ने 1.58 करोड़ रुपये का बिल नहीं चुकाया। स्विस कंपनी ने महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) को लीगल नोटिस भेजा है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष राज्य सरकार को घेरने में जुटा हुआ है। 

स्विट्जरलैंड के दावोस गए थे सीएम शिंदे और उनके मंत्री

मिली जानकारी के मुताबिक, यह बिल कंपनी ने जनवरी में स्विट्जरलैंड के दावोस में डब्ल्यूईएफ की यात्रा के दौरान सीएम एकनाथ शिंदे और कुछ मंत्रियों को दी गई सेवाओं के लिए दिया था। सीएम शिंद और उनके मंत्रियों ने इस बिल का पैसा नहीं चुकाया है। इसको लेकर अब नोटिस जारी हुआ है।

अगस्त में मिला नोटिस

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 28 अगस्त की तारीख को मिले नोटिस में आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार द्वारा संचालित महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) ने फर्म को 1.58 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है।

3.75 करोड़ रुपये का किया गया भुगतान 

एमआईडीसी, सीएम कार्यालय, विदेश मंत्री एस जयशंकर, विश्व आर्थिक मंच और अन्य को दिए गए नोटिस में यह भी कहा गया है कि यह शेष राशि है, जबकि एमआईडीसी द्वारा पहले 3.75 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

स्विस फर्म ने दिखाए प्रमाण

स्विस फर्म ने 15-19 जनवरी तक आयोजित विश्व आर्थिक मंच के दौरान प्रदान की गई सभी सेवाओं के बिलों के साथ प्रमाण भी प्रस्तुत किए हैं।

आदित्य ठाकरे ने खड़े किए सवाल

महा विकास अघाड़ी (MVA) विपक्ष, खासकर शिवसेना (UBT) के आदित्य ठाकरे और एनसीपी के रोहित पवार जैसे नेताओं ने शिंदे सरकार की आलोचना की है। आदित्य ठाकरे ने सरकार पर दावोस यात्रा पर अत्यधिक खर्च करने का आरोप लगाया है। साथ ही राज्य के वित्तीय लेन-देन में जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग की है।