अहमदनगर: अजित पवार गुट के मंत्री छगन भुजबल ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि उन्होंने पिछले साल 16 नवंबर को ही मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। भुजबल ने बताया कि OBC आरक्षण के चलते उन्होंने खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री पद से इस्तीफा दिया है। अहमदनगर के OBC एल्गार मेलावा में छगन भुजबल ने अपने इस्तीफा देने की बात कही है। भुजबल ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री के कारण पिछले दो महीने से चुप था। ओबीसी आरक्षण के लिए मैंने इस्तिफा दिया है। सब इस्तीफे की मांग कर रहे थे, इसलिए मैंने दे दिया।
अपनी ही सरकार पर लगाया बड़ा आरोप
दरअसल, ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कल अहमदनगर जिले में आयोजित ओबीसी आरक्षण बचाव समिति की सभा मे बड़ा खुलासा किया है। भुजबल ने कहा कि पिछले साल 16 नवम्बर को ही ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर उन्होने मंत्री पद का इस्तीफा दिया है। भुजबल ने अपनी ही सरकार पर पिछले दरवाजे से मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा में आरक्षण देने का आरोप लगाया है। भुजबल ने एक रैली को संबोधित करते हुए दोहराया कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन मौजूदा ओबीसी कोटा साझा करने के खिलाफ हैं।
छगन भुजबल ने क्या कहा?
ओबीसी नेता छगन भुजबल ने कहा,"मैं भाषण करता हूं तो विपक्ष सहित सरकार में शामिल नेता भी कहते हैं कि भुजबल मंत्री पद का इस्तीफा दो। अगर आप सहमत नही हैं तो इस्तीफा दो। आप सरकार में भी रहते हैं और टिका-टिप्पणी भी करते हैं। इसलिये इस्तीफा दो। कल परसो एक जन बड़बड़ाया कि भुजबल को कमर में लात मारकर मंत्री मंडल से बाहर निकाल दो। मैं विपक्ष सहित सरकार में शामिल और मेरे दल के लोगों को भी बताना चाहता हूं कि मैंने 16 नवंबर को ही मंत्री पद का इस्तीफा दे दिया था।"
"मुझे लात मारने की जरूरत नहीं है"
अजित पवार-नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता छगन भुजबल ने आगे कहा, "17 नवंबर को जालना के अबड़ में ओबीसी की पहली एल्गार परिषद हुई, उसके एक दिन पहले यानी 16 नवम्बर को ही मैंने मंत्री पद का इस्तीफा दिया है। मुझे लात मारने की जरूरत नहीं है। ढाई महीने मैं शांत रहा। मुख्यमंत्री ,उप मुख्यमंत्री से जो बातचीत हुई, उसका उल्लेख मैं यहां नहीं करूंगा। मैंने इस्तीफा दे दिया है और मैं ओबीसी के लिए अंत तक लड़ता रहूंगा।"
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