मुंबई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बंबई उच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की तरफ से दायर याचिका को खारिज किया जाए जिसमें उन्होंने केंद्रीय एजेंसी द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया है। उच्च न्यायालय में पिछले हफ्ते दायर हलफनामे में सीबीआई ने कहा कि देशमुख के खिलाफ प्राथमिकी इस वर्ष अप्रैल में प्रारंभिक जांच के आधार पर दर्ज की गई, जिसे उच्च न्यायालय ने राकांपा नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच पर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान मंजूरी दी थी।
केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने भी मंजूरी के मुद्दे पर कोई आपत्ति नहीं जताई। सीबीआई ने कहा कि देशमुख की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। एजेंसी ने आग्रह किया कि उच्च न्यायालय देशमुख की याचिका खारिज करे क्योंकि पूर्व मंत्री को किसी भी तरह की राहत देने से जांच प्रभावित होगी जो ‘‘प्रारंभिक लेकिन महत्वपूर्ण चरण’’ में है। देशमुख ने उच्च न्यायालय में प्राथमिकी रद्द करने का आग्रह करते हुए कहा है कि सीबीआई ने पहले से मंजूरी नहीं ली जो कानून में आवश्यक है क्योंकि कथित अपराध के वक्त वह लोकसेवक थे।
बहरहाल, सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा, ‘‘इस मामले में मंजूरी की जरूरत नहीं है। अवैध भ्रष्टाचार या अवैध तरीके से संपत्ति इकट्ठा करने के मामले में मंजूरी की जरूरत नहीं है क्योंकि इसे आधिकारिक ड्यूटी करना नहीं माना जा सकता है।’’ केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर देशमुख के कथित भ्रष्टाचार और बुरे आचरण को उजागर किया गया जो कानून के मुताबिक गंभीर अपराध है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली बंबई उच्च न्यायालय की पीठ ने सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद इस वर्ष अप्रैल में सीबीआई को देशमुख के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे।