मुंबई: कोविड केयर सेंटर घोटाले मामले में ED के बड़े अधिकारी ने इंडिया टीवी को बेहद अहम जानकारी दी है। अधिकारी ने बताया कि इस मामले में जो छापेमारी हुई थी उसमें ED को 68.65 लाख रुपए कैश मिले हैं, महाराष्ट्र के कई जगहों पर स्थित 50 अचल प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट मिले हैं जिनकी बाज़ार में कीमत 150 करोड़ से अधिक है। इसके अलावा 15 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपोजिट और इन्वेस्टमेंट मिले हैं और 2.46 करोड़ रुपये कीमत की ज्वैलरी भी मिली है।
अधिकारी ने बताया कैसे होता था घोटाला
ED ने छापेमारी में कई मोबाइल फोन और लैपटॉप भी जब्त किए हैं इसके साथ ही कई सारे इनक्रीमिनेटिंग डॉक्यूमेंट भी बरामद हुए हैं। प्रवर्तन निदेशालय के बड़े अधिकारी ने इंडिया टीवी को बताया कि मामले की जांच में पता चला कि एक कंपनी मृत COVID-19 मरीजों के लिए बॉडी बैग बनाकर दूसरी कंपनी को 2000 रुपए में दे रही था। इसके बाद वो कंपनी उसी बॉडी बैग को 6800 रुपए में सेंट्रल प्रोक्यूरमेंट डिपार्टमेंट को दे रही थी और यह कोंट्रक्ट उस समय की बीएमसी मेयर के कहने पर दिया गया था।
दवाओं और डॉक्टरों की तैनाती में भी हुआ घपला
इतना ही नहीं BMC को जिन कीमतों में कोरोना की दवाएं सप्लाई की जा रहीं थी उन दवाओं की कीमत बाज़ार में 25-30% कम थीं। हैरानी की बात तो ये है कि इस तरह की समस्या के बारे में संकेत करने के बावजूद भी बीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव के कारण दवाओं के वही दाम जारी रखे गये। जांच में यह भी पता चला है कि लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की वास्तविक तैनाती बीएमसी को किए गए बिलिंग में दिखाई गई लेकिन तैनाती के मुकाबले 60-65% कम रही। बिलिंग के लिए इस कंपनी ने उन डॉक्टरों के नाम प्रदान किए जो काम ही नहीं कर रहे थे।
जांच के घेरे में आए शिवसेना सचिव सूरज चव्हाण
गौरतलब है कि बीएमसी कोविड घोटाला मामले में ED ने आदित्य ठाकरे के करीबी सूरज चव्हाण और अन्य 15 जगहों पर छापेमारी की है। छापेमारी के दौरान ED को शिवसेना सचिव सूरज चव्हाण के मोबाइल से सुजीत पाटकर और सूरज चव्हाण के बीच हुए चैट मिले हैं। सूत्रों ने दावा किया है कि उस चैट में लाइफ लाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेस कंपनी को कांट्रेक्टर देने के बारे में और अन्य बाते हैं। अब ED जल्द ही सूरज चव्हाण को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुला सकती है।
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